जब्त रेत स्टॉक की नीलामी में बोली लगाने नहीं पहुंचा एक भी ठेकेदार

Ecen one contractor not to bid for the seized sand stock auction
जब्त रेत स्टॉक की नीलामी में बोली लगाने नहीं पहुंचा एक भी ठेकेदार
जब्त रेत स्टॉक की नीलामी में बोली लगाने नहीं पहुंचा एक भी ठेकेदार

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। रेत, एक ऐसा खनिज जिसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। बिल्डिर हो या ठेकेदार या फिर कोई आम नागरिक ही क्यों न हो, भवन निर्माण व अन्य विकास कार्यों के लिए रेत वैसे ही आवश्यक है, जैसे खाने में नमक। बस मात्रा का फर्क हो सकता है। यही रेत जब सरकारी दरों पर नीलामी के लिए रखी गई, तो इसे खरीदने कोई नहीं पहुंचा। ऐसा शायद ही किसी ने सोचा हो कि सस्ती या फिर शासन के रेट पर आसानी से उपलब्ध हो रही रेत को कोई खरीददार न मिले। जबकि, इसे खरीदने के लिए जरुरतमंद औने-पौने दाम तक चुकाने को तैयार रहते हैं, लेकिन ऐसा हुआ है। शायद पहली बार ऐसा हुआ हो कि जिले में जब्त रेत भण्डारण को जब नीलामी के लिए ई-ऑक्शन प्रक्रिया के तहत बुलवाया गया, तो एक भी व्यक्ति ने बोली नहीं लगाई हो।

दरअसल, जिला प्रशासन द्वारा पाटन-शहपुरा क्षेत्र में बीते दिनों की गई कार्रवाई के दौरान जब्त रेत के अवैध भण्डारण को नीलाम करने के निर्देश कलेक्टर छवि भारद्वाज ने दिए थे। जिसके बाद सोमवार को ई-ऑक्शन के जरिए रेत की नीलामी किया जाना तय हुआ। पता चला है कि सोमवार को होने वाले ई-ऑक्शन में एक भी प्रविष्टि नहीं आई। बताया जाता है कि जब्त की गई करीब 47 हजार 040 घनमीटर रेत को नीलामी के लिए रखा गया था। रेत नीलामी में किसी के भी हिस्सा न लेने के पीछे जिम्मेदारों और इस मामले से जुड़े जानकारों के अपने-अपने तर्क हैं। एक ओर जहां जिम्मेदारों का कहना है कि नीलामी के लिए निर्धारित राशि अधिक होने से संभवत: किसी ने इस प्रक्रिया में हिस्सा न लिया हो। या फिर अन्य कोई कारण भी हो सकता है। दूसरी ओर, जानकारों का कहना है कि नीलामी प्रक्रिया सही तरीके से तय नहीं की गई, जिस कारण नीलामी नहीं हो सकी। जो भी हो, जब्त रेत के भण्डारण को नीलाम कराने के पीछे कलेक्टर की मंशा इसे चोरी होने या फिर गड़बड़ी रोकने की थी। अब निर्धारित तारीख को नीलामी न होने पर पुन: नई तिथि निर्धारित की जाएगी।

सिन्डिकेट तो नहीं बन गया
सूत्रों की माने तो रेत नीलामी न होने के पीछे सिन्डिकेट बनने की भी संभावना जताई जा रही है। बताया जाता है कि, रेत ठेकेदारों ने आपसी सहमति से पूल बनाकर या सिन्डिकेट तैयार कर नीलामी में हिस्सा न लेने का फैसला लिया हो। इससे रेत के दामों पर भी असर पड़ेगा और शासन को रेत नीलामी के लिए अन्य विकल्पों को तलाशना पड़ सकता है। यदि, ऐसा है तो रेत ठेकेदार अपने मन माफिक रेट तय कर रेत खरीद सकते हैं और अपनी मर्जी के दाम तय कर मुनाफा कमा सकते हैं।

अलग-अलग होनी थी नीलामी
जानकारों का कहना है कि रेत नीलामी की प्रक्रिया गलत तरीके से निर्धारित की गई थी। होना यह चाहिए था कि, रेत के अगल-अलग स्टॉक को नीलाम करने की प्रक्रिया भी अलग-अलग संचालित की जाती। जबकि जो प्रक्रिया अपनाई गई, उसके तहत अलग-अलग क्षेत्रों में जब्त किए गए भण्डारण को एक साथ नीलाम करने के लिए रख दिया। इससे जहां रेत की कॉस्ट बढ़ गई, वहीं नीलामी में हिस्सा लेने के लिए जमा करवाई जाने वाली राशि में भी इजाफा हो गया। बताया गया कि ई-ऑक्शन में हिस्सा लेने के लिए संबंधित को करीब 17 लाख रुपए जमा करवाने थे।

फिर निर्धारित होगी तिथि
जब्त रेत की नीलामी के लिए ई-ऑक्शन की प्रक्रिया निर्धारित की गई थी। जिसमें किसी ने भी हिस्सा नहीं लिया। जल्द ही नीलामी के लिए नई तिथि निर्धारित की जाएगी।
पीके तिवारी, खनिज अधिकारी

 

Created On :   14 Aug 2018 7:49 AM GMT

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