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शिक्षा विभाग ने लैब टीचरों को बनाया भृत्य
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट की दो अलग-अलग एकलपीठों ने शिक्षा विभाग जबलपुर के दो लैब टीचरों को भृत्य बनाने के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस नंदिता दुबे और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की एकलपीठों ने याचिकाकर्ताओं को अगले आदेश तक लैब टीचर के पद पर ही काम करते रहने का आदेश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी।
यह याचिका चेरीताल निवासी मधु श्रीवास्तव और ठक्कर ग्राम निवासी मोहम्मद उसजिद अशरफी ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उनके पिता शिक्षा विभाग में कार्यरत थे, उनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी। उन्हें 9 फरवरी 2021 को शिक्षा विभाग में लैब टीचर के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दी गई थी। यह आदेश डीईओ घनश्याम सोनी ने जारी किया था। याचिका में 20 जुलाई 2021 को डीईओ श्री सोनी ने ही उन्हें लैब टीचर से भृत्य बनाए जाने का आदेश जारी कर दिया। आदेश में कहा गया कि शासन की गाइडलाइन के अनुसार दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों को लैब टीचर और दिवंगत लिपिक या अन्य कर्मचारी के आश्रितों को लिपिक या भृत्य पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता संकल्प कोचर ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता लैब टीचर की अर्हता पूरी करते हैं। दस्तावेजों की जाँच के बाद ही उन्हें लैब टीचर बनाया गया था। विचारण के उपरांत लैब टीचरों को भृत्य बनाने पर रोक लगा दी गई।
Created On :   14 Aug 2021 9:06 PM IST