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साढ़े आठ हजार अतिक्रमणकारी बने जमीन के मालिक
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। भूमिहीन आदिवासी व गैरआदिवासी वन जमीन पर अतिक्रमण कर अपनी उपजीविका चलानेवाले जिले के 8 हजार 639 अतिक्रमण धारकों को 5 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिकार मिला है। वन अधिकार अधिनियम के तहत जमीन मिलने से अब अतिक्रमणकारी जमीन के मालिक बनकर सम्मान के साथ उपजीविका चलाएंगे। बता दें कि जिले के हजारों भूमिहीन आदिवासी वन जमीन पर अतिक्रमण कर अपनी उपजीविका चला रहे थे। लेकिन उन्हें अतिक्रमित जमीन का अधिकार नहीं मिल पा रहा था। वन विभाग द्वारा अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करते हुए जमीन छीनी जाती थी। जिस कारण अतिक्रमण की गई जमीन पर न तो अतिक्रमणकारी अच्छे से फसल का उत्पादन कर पाते थे और न ही वन्यजीवों से फसलों को बचाने के लिए कुछ उपाय कर पाते थे। अतिक्रमण के पट्टे मिलने के लिए कई वर्षों तक शासन से संघर्ष करना पड़ा। अतिक्रमणकारियों की उपजीविकाओं को ध्यान में लेते हुए शासन ने वन अधिकार अधिनियम अमल में लाया और बताया गया कि वर्ष 2005 के पूर्व से वन जमीन पर अतिक्रमण कर अपनी उपजीविका चलाने वालों को वन अधिकार अधिनियम के तहत जमीन के पट्टे दिए जाएंगे। इसके लिए जमीन के सभी दस्तावेज व सबूत पेश करने होंगे। इस अधिनियम के तहत जिले के 21 हजार 739 आदिवासी व गैरआदिवासी अतिक्रमणधारकों ने आवेदन प्रस्तुत किए। जिसमें से 8 हजार 639 अतिक्रमणधारकों को पात्र घोषित कर उन्हें 5001.100 हेक्टेयर आर जमीन का सातबारा दे दिया गया है। अब पूरे सम्मान के साथ इस जमीन पर फसल उगाकर जीवनयापन कर सकेंगे।
सरकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ
केशव मिश्रा, जिला समन्वयक, जिलाधिकारी कार्यालय के मुताबिक जिन अतिक्रमणकारियों को जमीन के पक्के पट्टे मिले हैं, ऐसे लाभार्थियों को कृषि संबंधित जितनी भी योजनाएं है, उनका लाभ पट्टा धारकों को मिल सकेगा। लेकिन वे वन अधिकार अधिनियम के तहत मिली जमीन को बेच नहीं सकेंगे।
Created On :   10 May 2022 5:15 PM IST