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पाँच घंटे तक गुल रही बिजली, हलाकान रहे लोग
डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर की जनता इन दिनों घंटों लाइट बंद होने से सबसे ज्यादा परेशान है। लोगों की मुसीबत उस वक्त और बढ़ जाती है जब रात के वक्त विद्युत सप्लाई बंद हो जाती है और सुधार में एक नहीं बल्कि चार से पांच घंटे तक लग रहे हैं। ऐसे में पूरी रात अंधेरे में गुजारने की नौबत आ रही है। देखने में यह आ रहा है कि सुबह से शाम तक या फिर पूरी रात अंधेरे में काटने की नौबत तब आ रही है जब किसी विद्युत लाइन में भारी भरकम पेड़ गिर जाता है। जिसे काटकर हटाने में ही घंटों कवायद करनी पड़ती है, इसके बाद सुधार कार्य प्रारंभ होता है इस पूरी प्रक्रिया में पूरा क्षेत्र चार से पाँच घंटे तक सो नहीं पाता। जैसे बुधवार-गुरुवार की रात सिविल लाइन क्षेत्र के हालात बनें, इस क्षेत्र की जनता रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक अंधेरे में रात काटने मजबूर हुई। बिजली अधिकारियों की मानें तो ट्रांसफॉर्मर फेल होने या फिर अन्य कोई विद्युत उपकरण खराब होने से ज्यादा से ज्यादा एक-डेढ़ घंटे में ही विद्युत सप्लाई बहाल हो जाती है, मगर पेड़ गिरने पर कब तक सप्लाई चालू हो पाएगी यह बताना संभव नहीं होता है। इन सब मुसीबतों का बड़ा कारण बिजली विभाग को बिजली लाइन के आसपास झुकते या फिर खतरनाक पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं मिलना है। बिजली अधिकारियों की मानें तो विद्युत लाइनों को छूने वाली टहनियों को तो वे काटकर अलग कर देते हैं। इसके अलावा जो टहनियाँ इस स्थिति में नजर आती हैं कि भविष्य में इससे विद्युत लाइन को खतरा पैदा हो सकता है तो उन्हें हटा दिया जाता है मगर बड़े पेड़ों को काटना उनके वश में नहीं होता। वन विभाग को चिन्हित किया जाना चाहिए कि कौन सा पेड़ खतरनाक स्थिति में हैं वही उन्हें काटकर अलग कर सकता है।
संसाधन की कमी से जूझ रहे कर्मचारी
इन दिनों बिजली कर्मचारियों के सामने संसाधन की कमी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। देर रात अगर तेज बारिश हो रही है और एक साथ अगर दो फीडरों की सप्लाई बंद हो जाए, तो बिजली कर्मियों के पास इतने वाहन उपलब्ध नहीं होते हैं कि वे बारिश में मौके पर जाकर फॉल्ट का सुधार कर सकें। सिटी सर्किल में इन दिनों संसाधन की कमी सबसे ज्यादा देखी जा रही है।
इनका कहना है
पेड़ों के गिरने से विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त होती है और सप्लाई भी बाधित होती है। समय-समय पर निरीक्षण कर विद्युत लाइनों की आसपास की टहनियों को काटा जाता है, मगर खतरनाक पेड़ों को वन विभाग ही चिन्हित कर सकता है।
-सुनील त्रिवेदी, एसई सिटी
Created On :   11 Jun 2021 5:41 PM IST