11 लाख की धांधली , सचिव को किया निलंबित

Eleven lakh fraud secretary suspended katni madhya pradesh
11 लाख की धांधली , सचिव को किया निलंबित
11 लाख की धांधली , सचिव को किया निलंबित

डिजिटल डेस्क,कटनी। जिला मुख्यालय के निर्माण कार्यों में धांधली का मामला शांत नहीं हुआ था कि पंचायतों में भी लाखों रुपए के भ्रष्टाचार की इबारत लिख दी गई।अनियमितता प्रमाणित होने पर धारा 40 और 92 की फाईल इस तरह से जिला पंचायत में लटकी कि दस माह में जांच अधिकारी इसमें कुण्डली मारकर बैठ रहे। अब दोबारा से शिकायत मिलने और निर्माण कार्य में करीब 11 लाख रुपए की धांधली पाए जाने पर सचिव के ऊपर निलंबन की कार्यवाही की गई है। मामला कटनी जनपद पंचायत के कन्हरवारा का है। यहां पर अनियमितता की कहानी कई वर्ष से सरपंच और सचिवों ने मिलकर लिखी। कागजों में निर्माण करते हुए लाखों रुपए की राशि का वारा-न्यारा कर दिए। जिस पर प्रशासन की पूरी फौज आंख में काला चश्मा लगाए रही।

इस तरह से खेली होली

पंचायत में सीसी सड़क के  निर्माण में ही लाखों रुपए के राशि की होली खेली गई। जिस जगह पर सीसी सडक़ बनाया जाना था। वहां पर कीचड़ और धूल का अंबार लगा रहा, और राशि का आहरण सरपंच और सचिव ने कर लिया। जिसमें अनाप-शनाप खातों में भी राशि जमा कराया गया। मजदूरी भुगतान के नाम पर भी दोनों की जोड़ी ने मिलकर कई तरह का खेल-खेला। इसकी शिकायत पिछले वर्ष हुई थी। जांच के बाद जनपद सीईओ ने 11 दिसम्बर 2018 को सरपंच के ऊपर धारा 40 और सचिव के ऊपर धारा 92 कार्यवाही का पत्र बनाकर प्रेषित किया।

फिर 11 लाख की कहानी

यहां पर फिर से एक अन्य शिकायत पत्र की जांच कराई गई। जिसमें ग्यारह लाख रुपए की गड़बड़ी जांच अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन में पकड़ी। इसके बाद कन्हवारा के तत्कालीन और वर्तमान में पिलौंजी के सचिव सुखदेव मिश्रा के ऊपर निलंबन की कार्यवाही करने की अनुशंसा जनपद सीईओ ने करते हुए पत्र सीईओ जिला पंचायत के पाले में डाल दिया है। एक दिन पहले 8 अगस्त को ही लेटर जारी करते हुए कहा गया है कि यहां पर गलत तरीके से 10.80 लाख रुपए की राशि का आहरण कर लिया गया है। यह गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है।

बंद कर रखी थी आंख

पंचायतों के विकास के लिए तो सरकार ने जिला स्तर से लेकर जनपद स्तर तक पूरी फौज खड़ी की है। इसके बावजूद लाखों रुपए की धांधली को यहां पर अंजाम दे दिया गया। जिला पंचायत के अधिकारी नाक के नीचे ही इसे रोक नहीं पाए। ग्रामीण क्षेत्र में निर्माण कार्य का जिम्मा संभाले हुए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधिकारी भी तमाशबीन बने रहे। जनपद स्तर के अधिकारी भी सब कुछ देखते रहे। यहां पर एसडीओ और उपयंत्री भी इसमें किसी तरह से कसावट नहीं ला पाए।

एक्सपर्ट ने कहा सब सुनियोजित

एक्सपर्टों की मानें तो इस तरह के मामले में सुनियोजित तरीके से जानबूझकर लेट-लतीफी की जाती है। ताकि अधिक से अधिक मौका सरपंच और सचिव को मिल सके। पहले धारा 40 और 92 का अधिकार संबंधित एसडीएम कार्यालय को होता था। अब यह अधिकार जिला पंचायत को मिल गया है। जिसमें जिला पंचायत के कर्मचारी दोषियों को समय देते हुए फाईलों को ही उच्चाधिकारियों के पास प्रस्तुत करने में लेट-लतीफी बरतते हैं।

इनका कहना है

कन्हवारा पंचायत के बारे में और अधिक जानकारी जिला पंचायत के अधिकारी ही दे सकते हैं। उन्हें ही पूरे मामले की अच्छी तरह से जानकारी होगी।
- एस.बी.सिंह, कलेक्टर
 

Created On :   10 Aug 2019 11:36 AM GMT

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