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बस बहुत हुआ... अब हमें आश्वासन नहीं एक्शन चाहिए

शहर में चल रहे सीवर लाइन के काम पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, शासन और नगर निगम को हर शुक्रवार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
डिजिटल डेस्क जबलपुर। शहर में चल रहे सीवर लाइन के काम पर एक बार फिर से नाखुशी जताते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रदेश सरकार और नगर निगम को दो टूक कहा- बस अब बहुत हुआ। अब हमें आश्वासन नहीं, बल्कि एक्शन चाहिए। अब हम खुद इस काम की मॉनीटरिंग करेंगे। अब इस काम की प्रगति रिपोर्ट हर शुक्रवार को कोर्ट में पेश की जाए। यदि हमें तत्काल एक्शन नहीं दिखा तो फिर हम चीफ सेक्रेटरी को बुलाकर उन्हें जरूरी निर्देश देंगे। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने काफी तल्ख टिप्पणियाँ करते हुए सरकार और नगर निगम को लेटेस्ट प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देकर सुनवाई 14 फरवरी तक के लिए मुल्तवी कर दी।
गौरतलब है कि पिछले एक दशक से जबलपुर में बिछाई जा रही सीवर लाइन से शहर के शांति नगर, कृष्णा कॉलोनी, त्रिमूर्ति नगर, कमला नेहरू नगर और जगदम्बा कॉलोनी के लोगों को हो रही परेशानियों की खबर दैनिक भास्कर के 20 सितंबर 2017 के अंक में पेज नंबर 2 पर च्प्रॉपर्टी चेम्बर से जोड़े घरों के सीवर कनेक्शन, बंद कर दी गईं नालियाँ, पानी निकासी की जगह नहीं, अब राहत बनी मुसीबतज् शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। इसी खबर पर तत्कालीन चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने संज्ञान लेकर उसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश जारी किए थे। उसके बाद 21 सितंबर 2017 को प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने नगर निगम से जवाब तलब किया था। इसी मामले के साथ सौरभ शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर भी सुनवाई की जा रही है। दोनों मामलों पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत मित्र के रूप में अधिवक्ता अनूप नायर, याचिकाकर्ता सौरभ शर्मा की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशांक शेखर, शासकीय अधिवक्ता भूपेश तिवारी और नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पक्ष रखा।
यहाँ लोगों की मानसिकता- हमारा घर साफ रहे, भले पड़ोसी का गंदा हो जाए
सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने शहर में चल रहे विकास कार्यों को लेकर काफी कड़ा रुख अपनाया। युगलपीठ ने नगर निगम द्वारा किए जा रहे काम के अलावा लोगों के रवैये को भी आड़े हाथों लिया। चीफ जस्टिस ने कहा- अभी लोगों की यह मानसिकता है कि हमारा घर साफ रहे, भले ही पड़ोसी का घर गंदा हो जाए। नगर निगम को लोगों की इसी मानसिकता को बदलना होगा। इसके लिए लोगों को जागरूक करना ही पड़ेगा, बल्कि नागरिकों को भी अपना व्यवहार बदलना होगा। दूसरे शहरों में नागरिक अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते हैं, लेकिन इस शहर में ऐसा नहीं होता।
तीन दिन इन्दौर में रहा, लेकिन कहीं पर भी किसी को कचरा फेंकते नहीं देखा
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मित्तल ने कहा- हाल ही में मैंने इन्दौर बैंच में तीन दिनों की सिटिंग की। रोज कोर्ट आते-जाते समय मैंने एक भी व्यक्ति को कहीं पर भी कचरा फेंकते नहीं देखा। शायद यही वजह है कि पिछले तीन वर्षों से इन्दौर सफाई के मामले में नंबर वन आ रहा है। अब चौथी बार यही तमगा पाने जगह-जगह बोर्ड लगाकर दावा किया गया कि चौका मारकर रहेंगे। इन्दौर और जबलपुर इसी प्रदेश के शहर हैं तो जो इन्दौर में हो रहा, वो जबलपुर में क्यों नहीं हो सकता।
Created On :   6 Feb 2020 1:26 PM IST