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घोटाले की पुष्टि के बाद भी जिला पंचायत ने शासन से छिपाई चार्जशीट

डिजिटल डेस्क,सतना। वर्ष 2017-18 के दौरान दो चक्र में यहां महज 47 दिन जिला पंचायत के प्रभारी सीईओ रहे एसीईओ दयाशंकर सिंह ने जिला गौण खनिज मद (डीएमएफ) में तकरीबन 25 करोड़ 46 लाख का खेल कर दिया था। लगभग 4 साल बाद हाल ही में सामने आई उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट से इस सनसनी खेज तथ्य की पुष्टि हुई है।
करोड़ों के भ्रष्टाचार से जुड़े इस गंभीर मामले की शिकायत वर्ष 2019 की 3 जून को आरटीआई एक्टिविस्ट उदयभान चतुर्वेदी ने तबके पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल से की थी। आरोप है कि यहां जिला पंचायत में सक्रिय काकस रिपोर्ट लीक नहीं होने दे रहा है। और तो और दोषी एसीईओ के खिलाफ कार्यवाही के लिए राज्य शासन के बार-बार मांगने के बाद भी जांच आधारित चार्जशीट भोपाल नहीं भेजी गई है। इस संबंध में जब तत्तकालीन एसीईओ दयाशंकर से बात की गई तो उन्होंने अपना मोबाइल बंद कर लिया।
दो बार आए पावर में :-
जिला पंचायत में एसीईओ के पद पर पदस्थ रहे दयाशंकर सिंह पहली बार 3 दिसंबर 2017 से 19 दिसंबर 2017 तक और दूसरी बार 20 मार्च से 2018 से 20 अप्रैल 2018 तक जिला पंचायत के प्रभारी सीईओ बनाए गए थे। इतना ही नहीं इसी दौरान उनके पास सामाजिक न्याय विभाग के उपसंचालक का भी प्रभार रहा। आरोप है कि दयाशंकर ने पद का दुरुपयो करते हुए जहां जमकर वित्तीय अनियमितिताएं कीं। उन्होंने ऐसी फाइलें भी निपटा दीं जो फाइलें दूषित होने के कारण तबके सीईओ ने रोक रखी थीं। इसी बीच आरटीआई एक्टिविस्ट उदयभान चतुर्वेदी की शिकायत पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने जांच की जिम्मेदारी एडीशनल डायरेक्टर प्रद्युम्न शर्मा को सौंपी।
1141 पेज की जांच रिपोर्ट
9 सूत्रीय शिकायतों पर आधारित जांच रिपोर्ट 11 सौ 41 पेज की है। जांच में तबके प्रभारी सीईओ दयाशंकर सिंह को आधा सैकड़ा पंचायत सचिवों और रोजगार सहायकों के स्थानांतरण का दोषी पाया गया। उन्होंने जनपदों के प्रस्ताव के बिना ट्रांसफर किए थे। पद के दुरुपयोग का सबसे गंभीर मामला यह भी रहा कि 20 अप्रैल 2018 को आईएएस आफीसर और सीईओ साकेत मालवीय के पदभार संभालने के बाद भी एसीईओ, सीईओ की हैसियत से न केवल ट्रांसफर किए बल्कि निरस्त भी किए। इतना ही नहीं भुगतान भी किए।
गौण खनिज पर बड़ा खेल
जांच में इस तथ्य की भी पुष्टि हुई कि डीएमएफ फंड से स्वीकृत 437 कार्यों के लिए 25 करोड़ 46 लाख 99 हजार की आवंटित राशि में प्रक्रियागत त्रुटियां की गईं। नियमविरुद्ध प्रशासकीय स्वीकृतियां जारी की गईं। 10 करोड़ से अधिक के फंड आवंटन एवं कार्य मंजूरी के लिए जिला खनिज न्यास मंडल अध्यक्ष (प्रभारी मंत्री) की अनुमति जरुरी थी,मगर ऐसा नहीं किया गया। अध्यक्ष से अनुमोदन के बाद पंचवर्षीय कार्ययोजना राज्य शासन को भेजने के निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया। न अनुशंसा ली गई और न ही भावी योजना बनाई गई।
रिमांडर के बाद भी शासन को नहीं भेजा आरोप पत्र
आरोप है कि उच्च स्तरीय जांच पर आधारित चार्जशीट यहां जिला पंचायत में सक्रिय खल मंडली राज्यशासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को नही भेज रही है। उल्लखेनीय है इसी साल 18 अगस्त को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अवर सचिव शोभा निकुंम ने जिला पंचायत के सीईओ को पत्र लिख कर तबके एसीईओ दयाशंकर सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए जांच प्रतिवेदन पर आधारित चार्जशीट मांगी थी लेकिन आरोप पत्र शासन को नहीं उपलब्ध कराया गया। हद तो यह है कि 19 सितंबर को यहां आए अवर सचिव के इस आशय के रिमांइडर के बाद भी जिला पंचायत के जिम्मेदारों की सेहत पर कोई फर्क नहीं है।
इनका कहना है
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की ही उच्च स्तरीय जांच में उनकी शिकायतों पर तबके प्रभारी सीईओ के खिलाफ आरोप प्रमाणित हुए हैं, लेकिन दोषी को दंड से बचाने के लिए अभी भी जिला पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा शासन को चार्जशीट नहीं उपलब्ध कराई जा रही है। दोषियों को दंड मिलना चाहिए।
उदयभान चतुर्वेदी, आरटीआई एक्टिविस्ट
Created On :   1 Nov 2022 3:37 PM IST












