न्याय की मिसाल: हाईकोर्ट ने अन्याय होने पर खुद हाईकोर्ट प्रबंधन पर लगाई 5 हजार की कॉस्ट

Example of justice: High court itself imposed a cost of 5 thousand on the High Court management due to injustice
न्याय की मिसाल: हाईकोर्ट ने अन्याय होने पर खुद हाईकोर्ट प्रबंधन पर लगाई 5 हजार की कॉस्ट
मामला सीनियर पर्सनल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत कर्मी से जुड़ा न्याय की मिसाल: हाईकोर्ट ने अन्याय होने पर खुद हाईकोर्ट प्रबंधन पर लगाई 5 हजार की कॉस्ट

डिजिटल डेस्क जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने ही एक कर्मचारी के साथ हुए अन्याय की क्षतिपूर्ति के एवज में उच्च न्यायालय प्रबंधन पर ही कॉस्ट लगाकर न्याय की मिसाल पेश की है। मामला हाईकोर्ट में सीनियर पर्सनल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत कर्मी से जुड़ा है।
जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की खंडपीठ ने कहा िक बिना किसी गलती के कर्मचारी को सैलरी डिफरेंस से वंचित रखना अनुचित है। खंडपीठ ने कहा िक इसकी क्षतिपूर्ति के लिए हाईकोर्ट प्रशासन आवेदक प्राची पांडे को 5 हजार रुपए की राशि 30 दिन के भीतर िडजिटली भुगतान करे। खंडपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन को एक माह में रोके गए वेतन की राशि 10 फीसदी ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया है।
दरअसल, प्राची पर्सनल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थीं। हाईकोर्ट ने 30 अक्टूबर 2018 को उनसे जूनियर रश्मि रोनाल्ड विक्टर को प्रमोशन दे दिया। प्राची ने हाईकोर्ट प्रशासन को तुरंत एक अभ्यावेदन पेश किया। इसके बाद डीपीसी हुई और 25 अगस्त 2019 को याचिकाकर्ता को सीनियर पर्सनल असिस्टेंट के पद पर प्रमोशन दे दिया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदर्श हीरा एवं शांतनु अयाची ने कोर्ट को बताया िक प्रमोशन देने के बाद हाईकोर्ट प्रशासन ने एक साल की वेतनवृद्धि प्रदान करने से इनकार कर दिया। यह दलील दी गई िक पदोन्नत पद पर नो वर्क नो पे के आधार पर उक्त सीमा का वेतन नहीं दिया जा सकता। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत पेश करते हुए कहा िक वेतन अंतर का भुगतान तभी रोका जा सकता है जब कर्मचारी की कोई गलती हो जिस कारण उसका प्रमोशन देरी से किया गया है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पाया िक इस मामले में कर्मचारी की कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए वह नोशनल और प्रमोशन के बीच का वेतन अंतर भुगतान पाने की हकदार है।

Created On :   18 Nov 2021 7:43 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story