आरोपी की अनुपस्थिति में न्यायिक हिरासत को बढाना अवैध नहीं

Extension of judicial custody in the absence of accused is not illegal
आरोपी की अनुपस्थिति में न्यायिक हिरासत को बढाना अवैध नहीं
हाईकोर्ट आरोपी की अनुपस्थिति में न्यायिक हिरासत को बढाना अवैध नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आरोपी की अनुपस्थिति में उसकी न्यायिक हिरासत को बढाना अवैध नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने ठगी व धोखाधड़ी के मामले में एक आरोपी की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही है। आरोपी अमोल धुले ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि मजिस्ट्रेट ने 39 बार  उसकी अनुपस्थिति में उसकी न्यायिक हिरासत को बढाया है। यह नियमों के विपरीत है। इसलिए उसे इस मामले से रिहा किया जाए। क्योंकि न्यायिक हिरासत को बढाते समय कोर्ट मे  मुझे न तो प्रत्यक्ष रुप से कोर्ट मं पेश किया गया और न ही आनलाईन हाजिर किया गया।

न्यायमूर्ति पीबी बैराले व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने धुले के आवेदन पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने खंड़पीठ को बताया कि आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज है। सरकारी वकील ने आरोपी के दावे का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यदि आरोपी को महसूस होता है कि उसकी हिरासत अवैध तरीके से बढाई गई है तो वह हिरासत बढाने के आदेश को चुनौती दे सकता है। लेकिन याचिकाकर्ता ने याचिका में ऐसा नहीं किया है। इसलिए आरोपी की न्यायिक हिरासत को अवैध नहीं माना जा सकता है।

यह बात कहते हुए खंडपीठ ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया।खंडपीठ ने कहा कि निचली अदालत ने आरोपी के कई जमानत आवेदन को खारिज किया है। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।  आरोपी पर एक कारोबारी को पनवेल में भूखंड दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप है।

 

Created On :   5 Oct 2021 6:43 PM IST

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