तहसीलदार के फर्जी दस्तखत से जमीन में हेराफेरी - आदेश से पहले ही बदल गया था तहसील का क्षेत्र

Fake signatures of Tehsildar rigging the land - before the order was changed the area of Tehsil
तहसीलदार के फर्जी दस्तखत से जमीन में हेराफेरी - आदेश से पहले ही बदल गया था तहसील का क्षेत्र
तहसीलदार के फर्जी दस्तखत से जमीन में हेराफेरी - आदेश से पहले ही बदल गया था तहसील का क्षेत्र

डिजिटल डेस्क जबलपुर । तहसीलदार के फर्जी दस्तखत से एक जमीन का रिकॉर्ड दुरुस्त करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। खसरे में नाम चढ़वाने के लिए जब रिकॉर्ड खँगाला गया तब इस बात का खुलासा हुआ। आदेश की तारीख जब जाँच की गई तो पता चला कि आदेश के पहले ही तहसील दफ्तर का क्षेत्र बदल गया था। आदेश को संदिग्ध मानते हुए जब आवेदक से पूछताछ की गई तो पता चला कि उन्होंने नामांतरण एक वकील से कराया है, जिसके बाद वकील के संबंध में जानकारी लेकर नोटिस जारी किया गया है।  
फर्जीवाड़ा करने वाले इस कदर सक्रिय हैं कि वे तहसीलदार की सील और हस्ताक्षर भी फर्जी करके आदेश िनकाल रहे हैं। ऐसा ही एक मामला अधारताल तहसील में पहुँचा। नायब तहसीलदार सुषमा धुर्वे को आदेश कुछ संदिग्ध लगा तो उन्होंने रिकॉर्ड खँगाला तो हकीकत सामने आ गई। जानकारी के अनुसार मदन महल वार्ड िनवासी राजेन्द्र प्रसाद विश्वकर्मा का महाराजपुर वार्ड में 12 सौ स्क्वेयर फीट का एक प्लॉट था। इस प्लॉट में से 6 सौ वर्गफीट का प्लॉट उन्होंने सर्वे कॉलोनी विजयनगर िनवासी अरुणा जायसवाल और राजेन्द्र जायसवाल को बेच दिया था। नामांतरण कराने के लिये पनागर तहसील में आवेदन लगाया गया था, जिसके बाद तत्कालीन पनागर तहसीलदार प्रदीप मिश्रा के न्यायालय से 15 मई 2019 को रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने के आदेश का लैटर जारी होने की बात कही गई। इस आदेश के बाद भी जब रिकॉर्ड में नाम नहीं चढ़ा तो सीएम हैल्प लाइन में शिकायत की गई। नायब तहसीलदार ने जब आदेश को बारीकी से देखा तो उन्हें कुछ गड़बड़ नजर आया। उन्होंने तहसीलदार के िसग्नेचर का मिलान किया तो वह भी नहीं मिल रहे थे। इसके बाद जाँच में यह बात भी सामने आई कि जिस तारीख को आदेश हुए हैं उस समय नई तहसीलों का गठन हो गया था और महाराजपुर का क्षेत्र जो पहले पनागर में आता था उसे अधारताल तहसील में 1 जनवरी 2019 को ही जोड़ दिया गया था, जिसके बाद यह खुलासा हुआ कि तहसीलदार के फर्जी दस्तखत किये गये हैं और सील भी फर्जी लगाई गई है। आवेदक राजेन्द्र जायसवाल का कहना रहा कि उन्होंने काँचघर क्षेत्र में रहने वाले वकील को काम सौंपा था और उन्होंने ही यह आदेश उन्हें दिया है बाकी वे कुछ नहीं जानते। 

Created On :   14 March 2020 1:46 PM IST

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