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फर्जी टीकाकरण मामला : हाईकोर्ट ने कहा - टीका लगवाने वालों की जांच करें सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर में फर्जी तरीके से कोरोना संक्रमण के टीके लगाने के मामले में बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई महानगर पालिका को निर्देश दिए हैं कि वह टीका लगवाने वालों की जांच कराए कि क्या उनके शरीर में एंटी बॉडी तैयार हुई है। कोरोना के टीके लगवाने में लोगों को आ रही परेशानी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि फर्जीवाडे का शिकार हुए लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई परेशानी न हो।
खंडपीठ ने राज्य सरकार और बीएमसी को निर्देश दिए कि टीका लगवाने वालों की जांच की जाए कि इससे उनके शरीर पर किसी तरह का दुष्परिणाम तो नहीं हुआ है। मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने महानगर में कुल नौ जगहों पर फर्जी टीकाकरण कैंप लगाए जिनमें दो हजार 53 लोगों को कोरोना के कथित टीके लगाए गए। उन्होंने अदालत को बताया कि मामले में पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की है। मामले में 400 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं।
मामले में कांदिवली इलाके में हाउसिंग सोसायटी में फर्जी कैंप लगाने के मामले में एक डॉक्टर की तलाश की जा रही है। मामले में कुछ आरोपियों की पहचान होनी अभी बाकी है। अदालत ने राज्य सरकार की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि नौ फर्जी कैंप में लोगों को वैक्सीन के नाम पर क्या दिया गया। अदालत ने बीएमसी को इस बात की जानकारी देने को कहा कि पीड़ितों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की जांच के लिए वह क्या कदम उठाएगी।
बीएमसी के वकील अनिल साखरे ने कहा कि हम मामले की अलग से जांच कर रहे हैं। जिन अस्पतालों के सर्टिफिकेट कुछ पीड़ितों को दिए गए हैं उन्होंने इन कैंपों के लिए वैक्सीन देने से इनकार किया है। इस मामले में सीरम इंस्टिट्यूट से भी जानकारी मांगी गई है। अदालत ने रहिवासी कालोनियों और ऑफिसों में कैंप से जुड़ी नियमावली अब तक तैयार न करने को लेकर नाराजगी जताई है।
Created On :   24 Jun 2021 8:09 PM IST