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दाल बेचकर किसान परेशान, अब तक नहीं मिला भुगतान

डिजिटल डेस्क, नरसिंहपुर। मूंग, उड़द, तुअर खरीदी को लेकर बनी परेशानी खत्म नहीं हो रही है। किसानों से सीधे खरीदी की अंतिम तारीख भले ही खत्म हो चुकी है, लेकिन दाल बेचने वाले किसानों को अब तक भुगतान नहीं हो सका है। विशेषकर तेंदूखेड़ा में हुई खरीदी से संबंधित रिकार्ड की दुरूस्ती को लेकर प्रशासन सोच-विचार में है।
तेंदूखेड़ा में अधिकारी स्तर की जांच हाल ही में खत्म हुई थी, उस जांच का परिणाम क्या हुआ यह पता भी नहीं चला। इस बीच शासन स्तर से एक वरिष्ठ आईएएस विवेक पोरवार के नेतृत्व में 3 सदस्यीय दल द्वारा तेंदूखेड़ा में हुई खरीदी की जांच के लिए निर्देश जारी हुए हैं। उल्लेखनीय है कि दैनिक भास्कर के पिछले अंकों में इस बात की संभावना जताई गई थी कि तेंदूखेड़ा में हुई खरीदी की जांच कोई वरिष्ठ आईएएस कर सकता है।
15 दिन में सौंपेंगे रिपोर्ट
शासन स्तर से जारी आदेश में तेंदूखेड़ा में खरीदी के दौरान हुई अनियमितता की जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति का नेतृत्व उपभोक्ता संरक्षण आयुक्त एवं नरसिंहपुर के पूर्व कलेक्टर विवेक पोरवाल करेंगे। अन्य सदस्यों में कृषि विभाग के संचालक मोहनलाल मीणा तथा मार्कफेड महाप्रबंधक भगवान सिंह खेड़कर शामिल है। समिति 15 दिवस में जांच प्रतिवेदन कृषि उत्पादन आयुक्त को सौंपेगी।
भुगतान कब होगा, नहीं है जबाब
समर्थन मूल्य पर गर्मी की मूंग और उड़द की खरीदी बंद हो चुकी है और इसमें तकरीबन 200 करोड़ का भुगतान किसानों को किया जाना बाकी है। यह भुगतान कब तक हो जाएगा, इसको लेकर खरीदी करवाने वाली एजेंसी मार्कफेड हो या फिर खरीदी करने वाली समिति हो, किसी के पास कोई जवाब नहीं है। वे दो टूक शब्दों में यह कह रही हैं कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है, जब नाफेड पैसा देगा तभी भुगतान हो पाएगा। शासन द्वारा किसानों को दी गई राहत अब आफत बनने लगी है।
वेरीफिकेशन का पेंच
इस भुगतान में अभी बड़ा पेंच यह भी है कि जो मूंग या उड़द खरीदी गई है, उसका वेरीफिकेशन नाफेड के सर्वेयर करते रहे हैं। यदि उन्होंने खरीदी जा चुकी मूंग को नान एफएक्यू बता दिया तो उसका भुगतान कैंसे होगा? कौन करेगा? यह एक बड़ा सवाल है।
मार्कफेड के सूत्रों का कहना है कि अभी उसके पास ऐसा कोई आंकडा ही नहीं है कि जिसके आधार पर वह यह बता सके कि कितनी मूंग नान एफएक्यू घोषित की गई है, जब रिपोर्ट फाइनल होगी तभी सामने आएंगा कि क्या स्थिति है? वही वर्तमान में यह कहा जा रहा है कि वेयर हाउस में जमा रसीद और सर्वेयर रिपोर्ट के मिलान में ही काफी अंतर है।
नान एफएक्यू के भुगतान का क्या?
जिले में जो अरहर, मूंग व उड़द खरीदी गई उसमें तमाम तरह की स्थितियां रही है। इसलिए एफएक्यू को लेकर भी संशय की स्थिति है। नाफेड के सर्वेयर की रिपोर्ट तय करेगी कि खरीदी गए जिन्स एफएक्यू है या नान एफएक्यू है? आखिर में जब नाफेड फाइनल रिपोर्ट के बाद भुगतान करेगा तब जो नान एफएक्यू लेबल की उपज है उसका भुगतान वह करेगा या नहीं? ऐसी स्थिति में जिस किसान की यह उपज है उसका भुगतान कैसे होगा? इसका जवाब किसी के भी पास नहीं है। नरसिंहपुर के प्रबंधक मार्कफेड आरआर त्रिपाठी ने कहा कि मार्कफेड द्वारा खरीदी गई उपज के वेरीफिकेशन के बाद की स्थिति की जानकारी अभी जुटाई जा रही है। जितनी उपज पास की गई है उसके भुगतान की प्रक्रिया कर रहे हैं।
Created On :   2 Aug 2017 11:06 PM IST