किसानों ने बनाया सामूहिक खेत तालाब- खिली फलों की बगिया
डिजिटल डेस्क, अकोला. जल की कमी वाले क्षेत्रों में संरक्षित सिंचाई सुविधाओं की अधिक आवश्यकता होती है। ऐसे क्षेत्रों में एकीकृत बागवानी विकास योजना के तहत किसानों को सिंचाई सुविधाओं के लिए जल संचय के लिए खेत बनाने पर अनुदान दिया जाता है। इस योजना का लाभ उठाते हुए खेर्डा बु. के किसानों ने सामूहिक खेत तालाब बनाए और अपनी फल फसलों की उपज ली। खेर्डा की महिला किसान प्रीति अनिल ताकवाले ने अन्य किसानों के साथ सामूहिक रूप से आवेदन कर खेत तालाब प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उनके प्रस्ताव की जांच होकर उन्हें खेत तालाब मंजूर हुआ। इस तरह कृषि योजना का लाभ लेकर किसानों ने फलो की बगिया खिली है।
उन्होंने ५ हजार घनमीटर क्षमता का सामूहिक खेत तालाब का निर्माण किया। जिसके लिए उन्हें ३ लाख ६ हजार १५१ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। उन्होंने जो खेत तालाब बनाया जो ३४ मीटर लंबा, ३४ मीटर चौड़ा और ४.७० मीटर गहरा है। उसे प्लास्टिक का अाच्छादान भी किया हुआ है। उनके साथ संदीप हरणे व अन्य किसान शामिल हुए। राष्ट्रीय फलोत्पादन अभियान का हिस्सा मानकर यह योजना चलाई जाती है। विविध मौसम विभाग के अनुसार उस क्षेत्र में क्षेत्रीय उपयुक्तता एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बागवानी को बढ़ावा दिया जाता है। इसमें अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रसार, विस्तार, कटाई प्रौद्योगिकी, प्रसंस्करण और विपणन सुविधाएं प्रदान करके एक समूह तरीके से विकसित किया जाता है।
इसमें किसानों को जोड़ना एक महत्वपूर्ण घटक है। जिससे बागवानी उत्पादन में वृद्धि, आय में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना। यह सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देता है। जिला स्तर पर जिलास्तरीय समिति के माध्यम से योजना का प्रसार व किसानों का चयन करना आदि जानकारी तहसील कृषि अधिकरी विलास वाशिमकर ने दी है।
फलबाग के साथ साथ उसमें प्याज जैसी आंतर फसल का प्रयोग कर किसान उत्पादन ले रहे है। इसके अलावा खेत तालाब के पानी में मछली पैदा करने का भी प्रयास कर रहे है। इन किसानों को तहसील कृषि अधिकारी विलास वाशिमकर व उनके क्षेत्र के सहयोगियों ने सहकार्य व मार्गदर्शन किया है।
किसानों ने इस संरक्षित सिंचाई पर अपना चिकू, आम, नींबू आदि बाग लगाए गए हैं। वर्तमान में इन किसानों के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है। फिर भी उन्होंने ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल कर अपनी फलबाग सिंचाई के नीचे लाई है।
Created On :   28 March 2023 7:18 PM IST