रेशम से चमकेगी विदर्भ-मराठवाडा के किसानों की किस्मत

Fate of the farmers of Vidarbha-Marathwada will shine with silk
रेशम से चमकेगी विदर्भ-मराठवाडा के किसानों की किस्मत
रेशम से चमकेगी विदर्भ-मराठवाडा के किसानों की किस्मत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के आत्महत्या ग्रस्त इलाकों के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए राज्य का वस्त्रोद्योग विभाग रेशम की खेती पर विशेष जोर दे रहा है। इस वर्ष महाराष्ट्र में रेशम उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए आगामी 15 दिसंबर को नागपुर से महा रेशम अभियान शुरू किया जाएगा। 

वस्त्रोद्योग विभाग के  सचिव अतुल पाटणे ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि इस अभियान से माध्यम से पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार दोगुने किसान परिवारों को रेशम की खेती से जोड़ना है। रेशम की खेती किसानों के लिए लाभदायक है। इससे किसान हर वर्ष प्रति एकड़ 2 से 3 लाख रुपए कमा सकते हैं। फिलहाल महाराष्ट्र में 10 हजार हेक्टेयर में रेशम की खेती हो रही है। अब इसे बढ़ा कर 25 हजार हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है। रेशम के लिए एक बार पौधे लगाने पर 15 वर्षों तक उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। अभी तक राज्य के किसानों को कोकून बेचने के लिए कर्नाटक जाना पड़ता था। लेकिन अब जालना में कोकून मार्केट शुरु कर दिया गया है। सोलापुर में भी इसी तरह का एक मार्केट बनाया जा रहा है।

श्री पाटणे ने बताया कि 5 एकड़ से कम खेती वाले किसानों को रेशम उत्पादन के लिए नरेगा के तहत 2 लाख 80 हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। जिससे वे वे शेड आदि बना सकते हैं। वस्त्रोद्योग विभाग नए किसानों को रेशम की खेती से जोड़ने के लिए उन्हें प्रशिक्षण देगा। रेशम की खेती के लिए किसान जिला रेशम अधिकारी के मार्फत आवेदन कर सकते हैं। फिलहाल राज्य में रेशम उत्पादन के 12 हजार लाभार्थी हैं। अब इनकी संख्या दोगुनी करनी है। अभी महाराष्ट्र में 350 मैट्रीक टन रेशम धागे का उत्पादन हो रहा है। 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही मांग
वस्त्रोद्योग विभाग के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रेशम की अच्छी मांग है। फिलहाल 84 फीसदी रेशम का उत्पादन अकेले चीन में हो रहा है, जबकि भारत की भागीदारी केवल 13 प्रतिशत है। भारत अभी करीब 8 मैट्रीक टन रेशम निर्यात कर रहा है। अपारंपरिक रेशम उत्पादन में महाराष्ट्र देश में पहले क्रमांक पर है। राज्य के भंडारा, चंद्रपुर, गोंदिया और गडचिरोली में सर्वाधिक रेशम उत्पादन हो रहा है। 

फिलहाल राज्य में 12 हजार परिवार रेशम की खेती से जुड़े हैं, इसे बढ़ा कर 25 हजार करने का लक्ष्य रखा गया है। रेशम की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो सकेगी।”
अतुल पाटणे, सचिव: वस्त्रोद्योग विभाग

 

Created On :   13 Dec 2018 6:07 PM IST

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