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दसवीं की बजाय पांचवी कक्षा में पढ़ाने के लिए कहने पर प्रिंसिपल के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर, मिली राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक महिला शिक्षक को कक्षा दसवीं की बजाय कक्षा पांचवी के विद्यार्थियों को पढाने के लिए भेजने पर एट्रासिटी (जाति उत्पीड़न) के आरोपों का सामना कर रहे एक स्कूल के प्राचार्य को राहत प्रदान की हैं। महिला शिक्षक ने पुलिस को फरवरी 2022 में दी गई शिकायत में दावा किया था कि प्राचार्य ने उससे कहा था कि ‘तुम निचली जाति कि हो इसलिए तुम निचली कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाओ।’ इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका के चलते महानगर के नेहरु नगर इलाके में स्थिति स्वामी विवेकानंद स्कूल के प्राचार्य ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया था।
अवकाशकालीन न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव के सामने प्राचार्य के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। प्राचार्य ने दावा किया था कि पिछले साल कक्षा दसवीं का परीक्षा परिणाम तैयार करते समय शिकायतकर्ता (महिला शिक्षक) ने काफी गड़बड़ी की थी। शिकायतकर्ता के साथ इसके लिए अन्य शिक्षकों को डांट लगाई गई थी। शिकायतकर्ता से इस बारे में सफाई भी मांगी गई थी। जो उसने नहीं दी थी। आवेदन में प्राचार्य ने कहा था कि शिकायतकर्ता कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों को अंग्रेजी विषय पढाती थी। चूंकि शिकायतकर्ता के अध्यापन से जुड़ा कार्य संतोषजनक नहीं था। इसलिए शिकायतकर्ता को दसवीं के छात्रों की बजाय कक्षा पांचवी व छठवीं के बच्चों को पढाने के लिए स्थनांतरित कर दिया गया था। इसलिए शिकायतकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि शिकायतकर्ता ने जो आरोप लगाए है उसका एफआईआर में उल्लेख नहीं है। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि प्राचार्य ने जब उसे अपनी केबिन में जाति को लेकर अपमानित किया उस समय वहां दो शिक्षक मौजूद थे लेकिन मामले से जुड़े तथ्यों को देखने के बाद ऐसा नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा इस मामले में शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज कराने में भी काफी विलंब हुआ है। स्कूल के उपस्थिति से जुड़े मस्टर में भी शिकायतकर्ता को लेकर अनियमितता दिख रही है। न्यायमूर्ति ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोपी (प्राचार्य) को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर एक बैनर भी लगाया था। जो कि एक तरह से पुलिस पर दबाव बनाने जैसा है। शिकायतकर्ता का इस तरह से बैनर लगाना उचित नहीं है। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि आरोपी राहत पाने का हकदार है। इसलिए उसे 25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी जाती है।
Created On :   28 May 2022 7:54 PM IST