पहले होती है कम गुणवत्ता वाले ट्रांसफार्मर की खरीदी फिर चलता है सुधार का खेल

First there is purchase of low quality transformers and then the game of improvement goes on
पहले होती है कम गुणवत्ता वाले ट्रांसफार्मर की खरीदी फिर चलता है सुधार का खेल
पहले होती है कम गुणवत्ता वाले ट्रांसफार्मर की खरीदी फिर चलता है सुधार का खेल

ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही ट्रांसफार्मर खराब होने की संख्या - निजी वर्कशॉप में होता है सुधार, शैली पर उठ रहे सवाल
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में ट्रांसफार्मर खराब होने की संख्या में कमी आने की बजाय बढ़ोत्तरी ही हो रही है। जबकि कंपनी क्षेत्र में जिस तरह से ट्रांसफार्मर लगाने के लिए मापदंड तय हैं, उसी तरह साल भर में किस दर से ट्रांसफार्मर खराब हो सकते हैं यह भी तय किया गया है। इस स्वीकृत दर के अनुसार 5 सौ ट्रांसफार्मर वाले क्षेत्र में साल भर में 2 से 3 फीसदी तक ट्रांसफार्मर बिगड़ सकते हैं। मगर देखने में आ रहा है कि स्वीकृत दर से दो से तीन गुना अधिक खराब हो रहे हैं। जानकारों की मानें तो निर्धारित मापदंड के विरुद्ध ट्रांसफार्मरों की खरीदी होने से इनके बिगडऩे की संख्या अधिक हो रही है और फिर सुधार के लिए निजी कंपनियों को भेजा जा रहा है। यह खेल पिछले कई वर्षों से चल रहा है।आश्चर्य की बात तो यह है कि बिजली कंपनी का खुद का इतना बड़ा सेटअप होने के बाद भी ट्रांसफार्मर का सुधार कार्य नहीं होता है। निजी कंपनियों में ट्रांसफार्मर दिए जाने पर कम से कम 8 से 10 हजार रुपए सुधार में लगते हैं। 
इन कारणों से 
आती है खराबी
* ट्रांसफार्मर में आयल की कमी।
* एल्युमिनियम की जगह कॉपर वायर की कमी।
* वायरिंग में 2.3 एमएम की जगह 2 एमएम की तार लगाना।
* एक ट्रांसफार्मर खराब होने पर दूसरे में लोड बढ़ाया जाना।
ट्रांसफार्मरों की स्थिति
* जबलपुर रीजन के आठ संभागों में खराब ट्रांसफार्मरों की संख्या-9946
* जबलपुर से सिटी व ग्रामीण क्षेत्रों में खराब ट्रांसफार्मरों की संख्या-2072
* रीजन क्षेत्र में लगाए गए ट्रांसफार्मरों की संख्या-111993
* वर्ष 2020-21 में फेल हुए डीटीआर-8.88 प्रतिशत।

Created On :   27 March 2021 3:40 PM IST

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