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पहले आप, पहले आप में उलझी राजभवन से आई जांच

डिजिटल डेस्क, सतना। निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार के मामलों की राजभवन से आई उच्च स्तरीय जांच ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पहले आप-पहले आप की नवाबी लिहाज में फंस कर रह गई है। उल्लेखनीय है, ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कैंपस में 15 करोड़ 85 लाख 63 हजार 18 निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार की शिकायत कुलाधिपति से की गई थी। शिकायत में घटिया निर्माण पर भुगतान के आरोप लगाते हुए एक दागी इंजीनियर रमाकांत त्रिपाठी और एक अन्य इंजीनियर सीपी बस्तानी के साथ एक अकेली ठेका फर्म अतुल कोरारिया को सबसे ज्यादा 8 करोड़ 29 लाख के 5 बड़े काम दिए जाने के मामले की जांच कराए जाने की मांग की गई थी।
पिछले साल आई थी पहली जांच-
आरटीआई से हासिल ब्यौरे के मुताबिक कुलाधिपति को प्राप्त शिकायती पत्रों के आधार पर राजभवन के अनुभाग अधिकारी डॉ.राजकुमार जैन ने वर्ष 2021 की 24 नवंबर को पहला पत्र (एफ-47-1/2021/रा.स./ यूए-1/1213) ग्रामोदय के कुलपति को लिखा था, लेकिन आरोप है, कि कैंपस में सियासी रसूख की दम पर सक्रिय कॉकस की दम पर राजभवन से आई जांच रद्दी की टोकरी में डाल दी गई।
अंतत:105 दिन बाद बनाई गई छानबीन समिति-
मगर, इन्हीं शिकायतों की जांच के लिए राजभवन से कुलपति को दूसरा पत्र (पत्र क्रमांक- एफ 47-1/2021/ रा.स./यू.ए.- 1/167) इसी साल फरवरी में मिला तो जरा सी फुर्ती आई। अंतत: कुलाधिपति की स्वीकृति से कुल सचिव ने 8 मार्च ( पत्र क्रमांक-स्था./समिति/22/2111) को कृषि संकाय के अधिष्ठाता प्रो.डीपी राय की अध्यक्षता में छानबीन समिति गठित की। फैक्ट फाइंडिंग के नाम पर गठित छानबीन समिति में प्रवक्ता डॉ.रविकांत श्रीवास्तव और दो सहायक अभियंता वीरेन्द्र गुप्ता तथा धर्मेन्द्र सिंह बतौर सदस्य शामिल किए गए। आरोप है कि जांच को अनिश्चितकालीन बनाने की सुनियोजित साजिश के तहत विवरण प्रस्तुत करने की टाइम लिमिट नहीं तय की गई।
27 दिन बाद याद आई टाइम लिमिट-
सूत्रों ने बताया कि छानबीन समिति की कछुआ चाल की एक और शिकायत जब उच्च स्तर पर हुई तो विश्वविद्यालय प्रबंधन ने समिति गठन के लगभग 27 दिन बाद 3 माह की टाइम लिमिट तय कर दी। जानकार सवाल उठाते हैं कि अब 3 माह के अंदर यह समिति आरोपियों के खिलाफ फैक्ट फाइटिंग कर पाती है, या नहीं इस छानबीन समिति की रिपोर्ट की तकनीकी पुष्टि के लिए मामले की जांच लोक निर्माण विभाग से भी की जाएगी। ताकि यह तय हो सके कि आर्थिक अपराध के असली गुनहगार आखिर कितने पानी में हैं?
पर्दे के पीछे आखिर कौन-
जानकार सवाल उठाते हैं कि घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामले की राजभवन से आई जांच कार्यवाही पर छानबीन समिति बनाने में ग्रामोदय के विश्वविद्यालय प्रबंधन को 100 से भी ज्यादा दिन क्यों लगे किसकी दम पर राजभवन से आए प्रथम पत्र को रद्दी की टोकरी में डाल देने की हिम्मत दिखाई गई आखिर कैंपस के अंदर या बाहर ऐसा कौन सा सफेदपोश सियासी आका है, जिसके दबाव में छानबीन समिति के लिए अभी तक समय सीमा नहीं निर्धारित की गई थी
जांच की कछुआ चाल पर एक नजर में
24 नवंबर 2021
राजभवन से ग्रामोदय के कुलपति को पहला पत्र
(एफ-47-1/ 2021/ रा.स./ यूए-1/1213)
नतीजा- पत्र ठंडे बस्ते में
1 फरवरी 2022
राजभवन से ग्रामोदय के कुलपति को दूसरा पत्र
(पत्र क्रमांक- एफ 47-1/2021/ रा.स./यू.ए.- 1/167)
नतीजा- जरा सी चेतना आई
8 मार्च 2022
कुलपति की स्वीकृति से अंतत: छानबीन समिति का गठन।
(पत्र क्रमांक-स्था./समिति/22/2111)
नतीजा- फैक्ट फाइंडिंग की समय सीमा निर्धारित नहीं। एक और रिमाइंडर पर 3 माह की टाइम लिमिट तय
Created On :   4 May 2022 2:57 PM IST












