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बिना डिग्री के इलाज करनेवाले पांच फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बिना किसी वैध लाइसेंस और पढ़ाई के महानगर में लोगों का इलाज करने वाले पांच फर्जी डॉक्टरों को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है। जुहू, मालवणी और ओशिवारा इलाकों में क्लीनिक चला रहे इन डॉक्टरों के खिलाफ स्थानीय पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज कराई गई है। आरोपी खुद को डॉक्टर बताते हुए लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज का झांसा देते हुए दवाएं और इंजेक्शन देते थे लेकिन इनमें से ज्यादातर ने सिर्फ 10वीं तक ही पढ़ाई की है। अपराध शाखा की तीन युनिटों ने सीनियर इंस्पेक्टर महेश देसाई की अगुआई में आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की। देसाई ने बताया कि जुहू इलाके में दवाखाना चला रहे स्वपनकुमार मंडल, रामकुमार मिश्रा, ओशिवारा इलाके में लोगों को दवाएं दे रहे शोएब मोहम्मद अघारिया और मालवणी इलाके में बिना इलासेंस प्रैक्टिस कर रहे तुकाराम थोरात और अजीज शेख नाम के आरोपियों के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद गुप्त रुप से जानकारी इकठ्ठा की गई।
पुलिस ने लोगों को मरीज बनाकर आरोपियों के पास भेजा और इस बात की पुष्टि की कि चंद रूपयों के लिए वे लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया गया। शुक्रवार को आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। आरोपियों के पास से दवाएं और इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण जब्त किए हैं। छानबीन में खुलासा हुआ है कि मालवणी से पकड़े गए अजीज शेख के खिलाफ इससे पहले भी अगस्त 2018 में भी बिना किसी लाइसेंस के अवैध रुप से प्रैक्टिस के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सरकारी नौकरी का झांसा ठगने वाले गिरोह के 2 सदस्य गिरफ्तार
उधर नागपुर में सरकारी नौकरी लगाने की आड़ में लाखों रुपए की ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। आरोपियों ने किसान के बेटाें समेत कई लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया था तथा फर्जी प्रमाण-पत्र देकर उनसे लाखों रुपए ऐंठ लिए थे। गिरोह के चंगुल में फंसने से िकसान को अपनी जमीन तक बेचनी पड़ी थी। गणशपेठ पुलिस मामले की जांच कर रही है। आरोपी रूपेश दौलत भैस्वार (31) और उसका मित्र बंटी दिलीप मेंडके (26), दोनों काटोल तहसील के गोंडी दिग्रस निवासियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी आशीष महाजन, सौरभ और प्रशांत काले की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। 15 सितंबर 2017 से 23 जुलाई 2019 के बीच आरोपियों ने ब्रम्हपुरी तहसील निवासी नूतनलाल नागपुरे के बेटे अनिल और सुनील को महालेखाकार और हकदारी विभाग में सरकारी नौकरी लगा देने का झांसा देकर िकश्तों ने उससे 18 लाख 55 हजार रुपए ऐंठ लिए और रुपए लेने के बाद उन्हें फर्जी प्रमाण-पत्र थमा दिए थे।
Created On :   10 Jan 2020 9:14 PM IST