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शासकीय स्वशासी पीजी कालेज क्षमता से पांच गुने छात्र - हाजिरी नहीं होती ,एक-एक क्लास में हैं 400 विद्यार्थी

डिजिटल डेस्क सतना। क्या,आप जानते हैं-यहां के शासकीय स्वशासी महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं की हाजिरी नहीं होती है...वजह है, एक-एक क्लास में 400 या फिर इससे ज्यादा विद्यार्थी हैं। ये दीगर बात है यूजीसी की गाइड लाइन के मुताबिक एक क्लास में विद्यार्थियों की संख्या 40 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। साफ है कि ऐसी हालत में अगर, 45 मिनट के पीरियड में हाजिरी भी होने लगे तो पता चला कि उपस्थिति भरने में ही पीरियड गुजर जाएगा। गर्वमेंट पीजी कॉलेज में मौजूदा समय में क्षमता से लगभग 5 गुना ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। कालेज की कुल क्षमता महज 2 हजार विद्यार्थियों की है, लेकिन राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग के दबाव के चलते मौजूद समय में कालेज में छात्र-छात्राओं की तादाद 10 हजार है।
सिर्फ 2 सरकारी कॉलेज
जिला मुख्यालय सतना में बाबा आदम के जमाने से सिर्फ 2 शासकीय महाविद्यालय ही संचालित हैं। इनमें से एक स्वयं शासकीय स्वशासी महाविद्यालय है और दूसरा शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय। जिला मुख्यालय में वर्षों पुरानी नए महाविद्यालयों की मांग पर कभी गौर नहीं किया गया है। इस मामले में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने भी कभी यहां नए महाविद्यालय की स्थापना की चिंता नहीं की है। असल में ज्यादातर जनप्रतिनिधियों के बच्चे या तो जेएनयू ,डीयू-बीयू या इंदौर - भोपाल या फिर विदेशों में पढ़ाई करते हैं या कर चुके हैं। उच्च शिक्षा के मामले में जिम्मेदारों की अरुचि की तुलना अगर रीवा से की जाए तो वहां के जिला मुख्यालय में एक शासकीय विश्वविद्यालय के साथ-साथ 6गर्वमेंट कॉलेज हैं।
जनभागीदारी पर भरोसा
जानकारों ने बताया कि हर साल दाखिले के वक्त जैसे ही विद्यार्थियों की मांग बढ़ती है, राज्य शासन का उच्च शिक्षा विभाग कॉलेज प्रबंधन पर दबाव बना कर संकायवार सीटें तो बढ़ा देता है,मगर सुविधाएं जस की तस हैं। मौजूदा समय में पीजी कालेज जनभागीदारी से चल रहा है। जानकारों ने बताया कि शासकीय स्वशासी महाविद्यालय के 40 अतिथि विद्वान इसी मद से सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा 12 अन्य अतिथि विद्वान हैं। नियमित प्रोफेसर की संख्या 55 है।
पूरे जिले का बोझ
जिला मुख्यालय के शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पूरे जिले के स्टूडेंट्स का लोड है। कहने को तो जिले के रामपुरबघेलान , नागौद, अमरपाटन,मैहर, बदेरा, जैतवारा, बिरसिंहपुर , रामनगर और ताला के अलावा जिले में 13 शासकीय महाविद्यालय हैं। मगर, इन महाविद्यालयों में विज्ञान संकाय या तो है नहीं या फिर किसी मतलब का नहीं है। नतीजतन , जिले के कस्बाई इलाकों के स्टूडेंट भी उच्च शिक्षा के लिए सतना आना चाहते हैं। यही वजह है कि यहां के सिर्फ 2 शासकीय महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं की भीड़ यूजीसी के तय पैमाने को भी तोड़ चुकी है।
7साल से बातों में है मॉडल साइंस कॉलेज
गर्वमेंट पीजी कॉलेज के लोड को कम करने के लिए यहां 7 वर्ष पहले एक मॉडल साइंस कॉलेज की परिकल्पना की गई थी। मगर, वर्षों बाद भी इस कॉलेज की स्थापना संभव नहीं हो पाई है। उल्लेखनीय है,शासकीय स्वशासी महाविद्यालय के तबके प्राचार्य डा.हर्षवर्धन श्रीवास्तव की पहल पर मटेहना पंचायत के नीमी गांव में तत्कालीन कलेक्टर केके खरे ने 8 एकड़ सरकारी जमीन (आराजी नंबर-20/315)आरक्षित की थी, मगर कालेज प्रबंधन इस भूमि को उच्च शिक्षा विभाग के पक्ष में आवंटित कराने के लिए पंचायत की एनओसी तक नहीं ले पाया है। केंद्र सरकार की ये योजना भी अब शिथिल हो चुकी है।
Created On :   14 Nov 2019 3:19 PM IST