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जकरिया के लिए 2015 में ही तय कर दी 16 .रू. की दर

2020 में न्यूनतम 25 किमी. की परिवहन दरें 12 .93 रू. तय करने वाले नान ने
ट्रांसपोर्टर और अफसरों की मिलीभगत का सिंडिकेट
डिजिटल डेस्क जबलपुर । ट्रांसपोर्टर और अफसरों की मिलीभगत के सिंडकेट का बड़ा मामला अनूपपुर में सामने आया है। मामला तब सामने आया जबकि करीब आधा दशक से अनूपपुर के खाद्यान्न परिवहन ठेके को हासिल करते आ रहे शहडोल के जकरिया ट्रांसपोर्ट की जगह दूसरे ठेकेदार ने यहां काम हासिल किया। एलआरटी (लांग रूट ट्रांसपोर्ट) के लिए वर्ष 2020 में फाइनल हुए नये ठेके के लिए नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के भोपाल मुख्यालय से प्रारंभिक 1 से 25 किमी की दरें 12.93 रुपए तय की गईं। मिलीभगत यह कि, इस नए ठेके के पहले, वर्ष 2015 से मार्च 2021 तक इस कार्य को करने वाले जकरिया ट्रांसपोर्ट को नान के जिला कार्यालय से इसी प्रारंभिक 25 किमी तक की दूरी का 16 रुपए प्रति किलोमीटर, प्रति टन की दर से भुगतान किया गया। अब जबकि मिलीभगत तथा जकरिया पर जिला कार्यालय की मेहरबानी उजागर हुई तो सब खामोश हैं। नान के जिला प्रबंधक एस.डी. बिरहा पिछले महीने ही यहां आने की बात कहते हुए केवल मौजूदा ठेका दरों की जानकारी होने की बात कहते हैं।
शहडोल में जानकर भी अफसर अंजान
जकरिया के पास शहडोल में केवल द्वार प्रदाय योजना का परिवहन ठेका है, लेकिन इसे रैक पाइंट से 77 हजार मीट्रिक टन गेहूं को उठाते व दूर के स्थानों पर बने गोदामों के बजाय सीधे राशन दुकानों पर पहुंचाते देखा गया। नियमानुसार यह परिवहन कार्य कटनी की श्रीराम फर्म को करना था। जकरिया ट्रांसपोर्ट ने प्रधानमंत्री कल्याण योजना के तहत आई गेहूं की इस बड़ी खेप को अपने ट्रकों से ब्यौहारी, जयसिंहनगर, गोहपारू, अनूपपुर, कोतमा व राजेंद्रग्राम पहुंचाया। नान के जिला प्रबंधक राकेश चौधरी जो सोमवार तक ठेका कंपनी श्रीराम व जकरिया के बीच पेटी कांट्रेक्ट संबंधी अनुबंध से इंकार करते रहे, मंगलवार को उनके सुर बदले नजर आए। मंगलवार को उन्होंने अनुबंध होना तो स्वीकारा लेकिन इसके कागज वे नहीं दिखा सके। उनके पास इसका जवाब भी नहीं था कि जो खाद्यान्न रैक पाइंट से गोदामों में पहुंचना था, वह सीधे राशन दुकानों पर कैसे उतार दिया गया?
सिवनी में पर्देदारी शुरू
सिवनी में द्वार प्रदाय से लेकर रैक प्वाइंट तक कब्जा जमा चुके बालाजी ट्रांसपोर्ट द्वारा बार-बार अनियमितताएं किए जाने के बाद भी ठेका देकर उपकृत किए जाने के मामले में अब पर्देदारी शुरू हो गई है। नान के जिला प्रबंधक पीयूष माली इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे सके कि पूर्व के वर्षों में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी बालाजी ट्रांसपोर्ट को दोबारा परिवहन ठेका कैसे मिल गया? 2003 से अब तक बालाजी और उसके समूह से जुड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनियों को कब-कब परिवहन ठेका दिया गया, यह जानकारी भी सार्वजनिक करने से वे बचते रहे। उनके पास हर सवाल का एक ही जवाब था कि मैं कुछ महीने पहले ही आया हूं इसलिए पुराने मामले मुझे मालूम नहीं।
नरसिंहपुर : सीबीआई के अगले कदम पर नजर
नरसिंहपुर में लंबे समय से एफसीआई के साथ नान तथा मार्कफेड के परिवहन ठेके हासिल करती आ रही अमर गुड्स के मामले में सबकी नजर सीबीआई के अगले कदम पर है। सीबीआई ने बीती 8 जून को अमर गुड्स पर ऐसे ही दबिश नहीं दी थी। सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने भोपाल में जब एफसीआई के क्लर्क किशोर मीणा के घर पर छापा मारा था, तब उसे नोटों से भरे कई लिफाफे मिले थे। बताया जाता है कि इनमें से एक लिफाफा अमर गुड्स नरसिंहपुर के नाम का भी था। प्रारंभिक पूछताछ के बाद भोपाल वापस लौट चुकी सीबीआई टीम के शहर में होने की चर्चा मंगलवार को भी रही, हालांकि एसपी सीबीआई (भोपाल) मनीष श्रोती ने इससे इंकार किया। उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है, जरूरी होने पर दोबारा भी टीम भेजी जा सकती है।
Created On :   16 Jun 2021 2:00 PM IST