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पहली बार हिन्दी में फैसला देकर लोक अदालत ने 3 भाईयों से कहा- लगाओ दस पौधे

डिजिटल डेस्क जबलपुर । एक मामले पर हाईकोर्ट की लोक अदालत ने पहली बार हिन्दी में फैसला दिया है। जस्टिस विजय शुक्ला और अधिवक्ता रवीन्द्र श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने संपत्ति विवाद को लेकर 18 साल पहले खारिज हुई याचिका इस शर्त के साथ रेस्टोर की है कि तीनों आवेदक भाईयों को दस पौधे लगाकर उसकी रिपोर्ट शपथ पत्र पर पेश करना होगी।
1999 में एक मामला हाईकोर्ट में दायर किया था
यह मामला रीवा जिले की सिरमौर तहसील के ग्राम बीरखम में रहने वाले रोशनलाल शुक्ला के पुत्र रविशंकर, उमाशंकर और नगेन्द्र प्रसाद शुक्ला (तीनों भाई) की ओर से वर्ष 2015 में दायर किया गया था। आवेदकों का कहना था कि उनके पिता रोशनलाल ने एक संपत्ति के विवाद को लेकर वर्ष 1999 में एक मामला हाईकोर्ट में दायर किया था। उसमें पक्षकार गांव में ही रहने वाले रामायण प्रसाद, रामलखन मिश्रा और जगदीश प्रसाद को पक्षकार बनाया गया था। हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल 2001 को उक्त मामला पैरोकार की गैरहाजिरी में खारिज कर दिया था। आवेदकों का कहना है कि उन्हें उक्त मामले की जानकारी नहीं थी और उनके पिता रोशनलाल का 22 जुलाई 2013 को निधन हो गया। इसके बाद जमीन से संबंधित प्रकरण की जानकारी मिलने पर उन्होंने अधिवक्ता एसपी मिश्रा के जरिए सत्यप्रतिलिपि निकलवाई, तब उन्हें वस्तुस्थिति का पता चला। इन आधारों के साथ वर्ष 2001 में खारिज हुआ मामला पुन: सुनवाई के लिए रेस्टोर किए जाने की प्रार्थना करते हुए यह प्रकरण दायर किया गया। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की लोक अदालत में की गई। सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से अधिवक्ता विद्याशंकर मिश्रा ने दलीलें रखीं। आवेदकों के पिता के निधन का सर्टिफिकेट व अन्य दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद खण्डपीठ ने मामले को संजीदगी से लिया। खण्डपीठ के कहने पर अधिवक्ता श्री मिश्रा ने कहा कि उनके मुवक्किल अनावेदकों को वाद व्यय के रूप में एक हजार रुपए देने और दस पौधे लगाने तैयार हैं। खण्डपीठ ने अपना फैसला हिन्दी में देते हुए प्रकरण सुनवाई के लिए रेस्टोर कर लिया।
Created On :   19 Sept 2019 3:12 PM IST