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पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर की 200 एकड़ जमीन और अन्य संपत्तियां जब्त
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र राज्य को-ऑपरेटिव बैंक (एमएससीबी) घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मंत्री और शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर की 200 एकड़ जमीन समेत अन्य संपत्तियां जब्त कर लीं हैं। जालना सहकारी साखर कारखाना (एसएसके) लिमिटेड से जुड़ी इन संपत्तियों की कीमत 78 करोड़ रुपए से ज्यादा है। जालना जिले के हडप तालुका के सवरगांव में स्थित इन संपत्तियों में जमीन के साथ इमारत और मशीन भी शामिल हैं।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बांबे हाईकोर्ट के निर्देश पर अगस्त 2019 में को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले की छानबीन शुरू की थी। आरोप है कि एमएससीबी के संचालकों और निदेशकों ने नियमों को ताक पर रखकर अपने करीबियों को बेहद कम कीमत पर कारखाने बेंच दिए थे। ईडी ने मामले में पीएमएलए कानून के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की तो पाया कि 1984-85 में स्थापित जालना सहकारी साखर कारखान लिमिटेड 235 एकड़ में बना था जिसमें से 100 एकड़ जमीन महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुफ्त में दी गई थी।
मिलीभगत कर लगाई गई थी बोली
जालना एसएसके ने एमएससीबी से कर्ज लिया था जो वह वापस नहीं कर पाई। मार्च 2002 तक कर्ज की रकम बढ़कर 33.49 करोड़ रुपए हो गई तो सितंबर 2008 में बैंक ने वसूली के लिए कारखाने पर कब्जा कर लिया। फरवरी 2012 में इसकी नीलामी की गई और रिर्जव प्राइज (न्यूनतम कीमत) 42.18 करोड़ रुपए रखी गई थी। इसके लिए दो पार्टियों तपाडिया कंस्ट्रक्शन्स प्रायवेट लिमिटेड, औरंगाबाद और अजीत सीड्स प्राईवेट लिमिटेड औरंगाबाद ने बोली लगाई थी। तपाड़िया की बोली 42.31 करोड़ की थी जबकि दूसरी कंपनी ने न्यूनतम कीमत से कम बोली लगाई थी इसलिए तपाड़िया को कंपनी मिल गई। ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि दोनों कंपनियों के ऑफिस जालना में स्थित एक ही इमारत से चल रहे थे और असल में आपस में मिलीभगत कर बोली लगाई गई थी।
तपाड़िया कंस्ट्रक्शन ने यहां कोई काम नहीं किया और 15 महीने बाद मई 2012 में एसएसके समेत 235 एकड़ जमीन अर्जुन खोतकर की कंपनी अर्जुन सुगर इंडस्ट्रीज प्राईवेट लिमिटेड को बेंच दी गई। छानबीन में खुलासा हुआ कि खोतकर साल 1998 से 2004 तक महाराष्ट्र राज्य को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशकों में शामिल थे। साथ ही वे 1998 से 2003 तक जालना एसएसके के भी निदेशक थे। वे साल 2007 से अब तक जालना एपीएमसी के भी निर्वाचित अध्यक्ष हैं। वे जालना डीसीसीबी के भी निदेशक हैं। जांच में खुलासा हुआ है कि तपाड़िया कंस्ट्रक्शन ने जालना एसएसके के एवज में एमएससीबी में 10 करोड़ 56 लाख रुपए डिपॉजिट किया था। इसके बाद फर्जी कंपनियों के नाम पर नकद भुगतान दिखाया गया।
यही नहीं तपाड़ियां कंस्ट्रक्शन को दिसंबर 2012 में अर्जुन शुगर इंडस्ट्रीज से 31.73 करोड़ रुपए मिले थे। जिससे साफ होता है कि तपाड़िया कंस्ट्रक्शन खोतकर की ही छद्म कंपनी थी। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि जिस संपत्ति को खोतकर की कंपनी ने 42.31 करोड़ रुपए में खरीदी थी उस समय उसकी उसकी वास्तविक कीमत 78 करोड़ रुपए से ज्यादा थी। इसमें से अचल संपत्तियों की कीमत 48.38 करोड़ जबकि चल संपत्तियों की कीमत 30 करोड़ रुपए थी। आगे की जांच में खुलासा हुआ कि खोतकर की कंपनी ने बोइलर जैसे कई मंहगी मशीनों को भंगार बताकर बेंच डाला।
Created On :   24 Jun 2022 9:09 PM IST