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बेटे से घर खाली कराने हाइकोर्ट पहुंचे पूर्वमंत्री, मायावती की सरकार में मंत्री थे सुभाष पांडेय
डिजिटल डेस्क, मुंबई। उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मंत्री व बहुजन समाज पार्टी के पूर्व नेता ने अपने बेटे से फ्लैट कराने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों की उपेक्षा के चलते बहुत से वरिष्ठ नागरिक परेशानी महसूस कर रहे हैं। उनकी शिकायतों का तत्काल निपटारा किया जाना जरूरी है। लिहाजा महाराष्ट्र सरकार बताए कि वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी शिकायतों का निपटारा करनेवाले न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) को कब तक ऑनलाइन अथवा प्रत्यक्ष रुप से शुरु किया जाएगा। याचिकाकर्ता फिलहाल मुंबई में रहते हैं।
याचिका के मुताबिक जिस घर में याचिकाकर्ता के बेटे रह रहे हैं वह उनका है। इसलिए बेटे व उसके परिवार को घर खाली करने का निर्देश दिया जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अलौकिक पै ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों की सुनवाई करनेवाला न्यायाधिकरण कोरोना के प्रकोप के चलते मार्च 2020 से बंद है। इसलिए इस मामले में राहत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
वहीं याचिकाकर्ता के बेटे की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अखिलेश दुबे ने याचिका का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि उनके पिता विधायक व कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इसलिए इस बात का सवाल ही नहीं पैदा होता है कि वे अपना भरणपोषण व देखभाल नहीं कर सकते। ऐसे में इस मामले की सुनवाई वरिष्ठ नागरिकों की शिकायतों की सुनवाई करनेवाले न्यायाधिकरण के सामने नहीं हो सकती है।
न्यायमूर्ति नीतिनजामदार व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले को देखने के इच्छुक नहीं है। याचिकाकर्ता इस विषय को देखने वाले न्यायाधिकरण के सामने अपनी बात रख सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि प्रकरण से जुड़े दोनों पक्षकार किसी अभाव से नहीं जूझ रहे हैं। याचिका में कुल मिलाकर घरेलू विवाद से जुड़े मुद्दे को उठाया गया है। जिसके तथ्य विवादित हैं
इस दौरान खंडपीठ ने न्यायाधिकरण के बंद होने की बात को जानने के बाद कहा कि वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट एक कल्याणकारी कानून है। यह कानून ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के सरंक्षण के लिए लाया गया है, जो अपने बच्चों की उपेक्षा के चलते परेशानी का सामना करते हैं। बहुत से वरिष्ठ नागरिक ऐसे हैं, जिनकी समस्या का निराकरण तत्काल जरूरी है।
खंडपीठ ने कहा कि कई सरकारी प्राधिकरणों ने ऑनलाइन अथवा प्रत्यक्ष रुप से अपना काम शुरू कर दिया है। ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों से जुडी शिकायतों को सुनने वालों न्यायाधिकरण को बंद रखने का कोई कारण नजर नहीं आता है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार के संबंधित विभाग को जवाब देने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई अब 15 अक्टूबर 2020 को रखी है।
कौन है सुभाष पांडेय
वर्ष 2007 में उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले के मछलीशहर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए पांडेय मायावती सरकार में मंत्री थे। उनके पिता दिवंगत रामनाथ पांडेय महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे।
Created On :   11 Oct 2020 5:39 PM IST