सोहराबुद्दीन केस में बरी पुलिसकर्मी ने कहा- जांच एजेंसियों की नाकामी के कारण काटी जेल, जानिए वो कौन हैं जिनपर लगे थे आरोप

Four years in jail due to failure of investigating agencies - Abdul rahman
सोहराबुद्दीन केस में बरी पुलिसकर्मी ने कहा- जांच एजेंसियों की नाकामी के कारण काटी जेल, जानिए वो कौन हैं जिनपर लगे थे आरोप
सोहराबुद्दीन केस में बरी पुलिसकर्मी ने कहा- जांच एजेंसियों की नाकामी के कारण काटी जेल, जानिए वो कौन हैं जिनपर लगे थे आरोप

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सोहराबुद्दीन व तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले से बरी हुए भी सभी आरोपियों ने CBI कोर्ट के फैसले को सत्य व न्याय की जीत बताया है। मामले से बरी हुए पुलिसकर्मी अब्दुल रहमान ने कहा कि व्यवस्था व जांच एजेंसियों की नाकामी के चलते उन्हें चार साल तक जेल काटनी पड़ा। हालांकि अंत में कोर्ट ने उन्हें न्याय दिया। रहमान ने कहा कि यह मामला जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का उदाहरण है। जांच एजेंसियों का कौन किस इरादे से दुरुपयोग कर रहा है, इसकी जांच की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैं शुरु से कह रहा था मेरी इस मामले में कोई भूमिका नहीं है, लेकिन मुझे एक मनगढ़ंत कहानी के तहत गिरफ्तार किया गया। क्योंकि सोहराबुद्दीन व तुलसीराम प्रजापति के मुठभेड़ स्थल पर मैं तो मौजूद ही नहीं था, इसके बावजूद मुझे आरोपी बना दिया गया। वहीं फिलहाल गुजरात पुलिस अकादमी में कार्यरत पुलिस निरीक्षक आशीष पांड्या ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मामले से जुड़े सभी सबूतों पर गौर करने के बाद मुझे बरी किया है। मेरी रिहाई सत्य की जीत है। इस मामले के चलते मुझे अपनी सेवा से जुड़े काफी लाभ गंवाने पड़े। गिरफ्तारी के बाद मुझे निलंबित कर दिया गया। कई साल जेल में बिताने पड़े पर अब अदालत के रिहाई के फैसले ने मेरी बेगुनाही को साबित कर दिया है। 

‘अब भाजपा के टिकट पर बनूंगा विधायक’
वहीं गुजरात में एक फार्महाउस के मालिक राजेंद्र कुमार जीरावाल ने कहा कि CBI ने मुझे गलतफहमी में गिरफ्तार किया था। मैं भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा था, इसलिए मुझे पकड़ा गया था। कुल मिलाकर इस मामले के जरिए गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचाना था और वहां पर उसकी सत्ता को गिराना था। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान मैं गुजरात के गृह राज्य मंत्री अमित शाह के साथ जेल में था। उन्होंने कहा कि जिन्होंने मेरे साथ गलत किया उन्हें सजा ऊपरवाला देगा। क्योंकी भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। उन्होंने कहा कि इस बार मैं भारतीय जनता पार्टी से गुजरात में चुनाव लडूंगा और जीत कर विधायक बनूंगा। 

बरी किए गए सभी 22 आरोपियों की सूची  
सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में की गई हत्या के मामले में CBI की एक विशेष अदालत द्वारा बरी किए गए 22 आरोपियों की सूची निम्नलिखित है:-

अब्दुल रहमान : राजस्थान में तत्कालीन पुलिस निरीक्षक। CBI के मुताबिक, वह उस टीम का हिस्सा था जिसने शेख और कौसर बी को अगवा किया। उस पर शेख पर गोली चलाने का भी आरोप था।       

नारायणसिंह डाभी : गुजरात एटीएस में तत्कालीन इंस्पेक्टर। डाभी पर शेख की कथित हत्या करने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था।

मुकेश कुमार परमार : गुजरात एटीएस में तत्कालीन डीएसपी। परमार पर शेख की कथित हत्या करने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था।

हिमांशु सिंह राजावत : राजस्थान पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर। राजावत पर शेख की कथित हत्या करने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था।

श्याम सिंह चारण : राजस्थान पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर। शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने का आरोपी।      

राजेंद्र जीरावाला : गुजरात में एक फार्म हाउस का मालिक। CBI के मुताबिक, उसे इस बात की जानकारी थी कि शेख और कौसर बी को रखने के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा उसके फार्म हाउस का इस्तेमाल किया जा रहा है। उस पर शेख और कौसर बी को अवैध रूप से बंधक बनाए रखने में मदद करने का आरोप था।

आशीष पांड्या : गुजरात पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर। उस पर तुलसीराम प्रजापति पर गोली चलाने का आरोप था।      

घट्टामनेनी एस राव : आंध्र प्रदेश पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर। उस पर शेख और कौसर बी को आंध्र प्रदेश से गुजरात ले जाने का आरोप था।

युद्धबीर सिंह, करतार सिंह, नारायणसिंह चौहान, जेठासिंह सोलंकी, कांजीभाई कच्छी, विनोदकुमार लिम्बछिया, किरण सिंह चौहान और करण सिंह

सिसोदिया : CBI ने कहा कि वे प्रजापति की कथित हत्या करने वाली गुजरात एवं राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीम का हिस्सा थे। 

अजय कुमार परमार और संतराम शर्मा : गुजरात पुलिस के तत्कालीन कांस्टेबल। उन पर शेख और उसकी पत्नी को गुजरात ले जाने वाली टीम का हिस्सा होने का आरोप था।  

बालकृष्ण चौबे : गुजरात एटीएस का तत्कालीन इंस्पेक्टर। CBI के मुताबिक, वह उस जगह पर मौजूद था जहां शेख की कथित हत्या की गई। CBI ने कहा कि उसने कौसर की के शव को ठिकाने लगाने में मदद की। 

रमणभाई के. पटेल : गुजरात सीआईडी का जांच अधिकारी। CBI ने उस पर शेख मुठभेड़ मामले में ‘गलत जांच’ करने का आरोप लगाया था।       

नरेश वी चौहान : गुजरात पुलिस का तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर। CBI के मुताबिक, वह उस फार्म हाउस में मौजूद था जहां कौसर बी को रखा गया था। जांच एजेंसी के मुताबिक, वह उस जगह भी मौजूद था जहां कौसर बी का शव ठिकाने लगाया गया।       

विजयकुमार राठौड़ : गुजरात एटीएस का तत्कालीन इंस्पेक्टर। उस पर कौसर बी का शव ठिकाने लगाने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप था।      

 

Created On :   21 Dec 2018 2:48 PM GMT

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