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मल्टीनेशनल कम्पनी में आकर्षक वेतन पर नौकरी दिलाने के बहाने बेरोजगारों से ठगी

डिजिटल डेस्क सतना। मल्टीनेशनल कम्पनी में आकर्षक वेतन पर नौकरी दिलाने के बहाने बेरोजगार युवकों से हजारों, लाखों की ठगी का सनसनीखेज मामला मंगलवार को सिटी कोतवाली पुलिस के पास पहुंचा जहां एक पीडि़त ने लिखित शिकायत देकर जालसाजी के खेल का खुलासा कर दिया, जिस पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। सिटी कोतवाल डॉ. राघवेन्द्र द्विवेदी के मुताबिक अंकुर चौरसिया पुत्र संतोष कुमार निवासी बिरसिंहपुर थाना सभापुर ने अपने आवेदन में बताया कि कुछ दिन पूर्व एक विज्ञापन पढकऱ दोनों लोग राजेन्द्र नगर गली नंबर 13 में कोठी हाउस के पास ब्राईट मैनेजमेंट कम्पनी के दफ्तर पहुंचे जहां रामू साहू निवासी भटनवारा थाना उचेहरा से मुलाकात हुई, जिसने रजिस्ट्रेशन के नाम पर 5 सौ रूपए जमा कराए फिर अगले दिन से 6 दिन के प्रशिक्षण के लिए बुलाया। ट्रेनिंग पूरी होते ही दस्तावेज तैयार करने की बात कहकर 52 सौ रूपए ले लिए और कहा कि जल्द ही कम्पनी में मैनेजर के पद पर नियुक्ति की जाएगी, लेकिन जब कुछ दिन तक कम्पनी से फोन नहीं आया तो वह कार्यालय पहुंचा जहां ताला लटकता मिला। लिहाजा आसपास के लोगों से पूछतांछ की पर किसी को कुछ पता नहीं चला। इतना ही नहीं राम साहू समेत कम्पनी के जितने भी लोगों के नंबर थे, सबके फोन बंद थे। पीडि़त के आवेदन पर पुलिस टीम को राजेन्द्र नगर भेजा गया पर वहां कोई नहीं मिला।
मजबूरी का उठाते हैं फायदा
फर्जीवाड़े की जांच शिक्षित बेरोजगारों को आकर्षक वेतन पर अच्छी नौकरी का झांसा देकर ठगने का खेल नया नहीं है। शातिर जालसाज कहीं भी बड़ी कम्पनियों के नाम का बोर्ड लगाकर ऑफिस खोल लेते हैं और कुछ रूपए खर्च कर विज्ञापन जारी कर देते हैं जिसमें 8वीं से लेकर उच्च शिक्षित युवाओं को योग्यता के अनुसार वेतन समेत भत्ते व अन्य सुविधाएं प्रदान करने का वादा किया जाता है। बदले में कुछ दिनों के प्रशिक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन समेत 5 से 6 हजार रूपए जमा कराए जाते है।
रकम जमा होते ही भाग जाती है कम्पनी
तेजी से बढ़ रही बेरोजगारों की फौज बिना तस्दीक किए जालसाजों के झांसे में आकर न सिर्फ रकम जमा करते हैं बल्कि ट्रेनिंग के नाम पर अपना समय भी बरबाद करते हैं। उधर जैसे ही मोटी रकम हो जाती है तो फर्जी कम्पनी के तथाकथित अधिकारी-कर्मचारी कोई न कोई बहाना बनाकर काम से हटा देते हैं या रातोंरात दुकान में ताला लगाकर चम्पत हो जाते हैं। जब यह बात ठगी के शिकार युवक-युवतियों को पता चलती है तो उनके सामने पुलिस की मदद लेने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता, लेकिन पुलिस भी अक्सर आवेदन लेकर रद्दी की टोकरी में फेंक देती है। सिटी कोतवाली में ऐसे कई शिकायतें फाइलों में दबी पड़ी हैं। देखना यह है कि अंकुर की फरियाद को गंभीरता से लिया जाता है अथवा उसका भी वही हश्र होगा जो पहले के पीडि़तों का हो चुका है।
Created On :   29 Nov 2017 1:45 PM IST