केंद्र की आलोचना करने वाली एफटीआईआई की कर्मचारी को हाईकोर्ट से राहत नहीं

FTII employee no relief from HC on criticizing to Center government
केंद्र की आलोचना करने वाली एफटीआईआई की कर्मचारी को हाईकोर्ट से राहत नहीं
केंद्र की आलोचना करने वाली एफटीआईआई की कर्मचारी को हाईकोर्ट से राहत नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फेसबुक में सरकार की आलोचना करने के चलते नौकरी से निलंबित फिल्म एंड टेलिवीजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के एक कर्मचारी को बांबे हाईकोर्ट ने फिलहाल राहत देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने एफटीआईआई की स्टाफ इंद्राणी भट्टाचार्य के खिलाफ की गई निलंबन की कार्रवाई में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है। फेसबुक में केंद्र सरकार की आलोचना करने को लेकर भट्टाचार्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की शुरुआत की गई है। जिसके विरोध में भट्टाचार्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि अभी तक याचिकाकर्ता (भट्टाचार्य) को आरोपों की कोई सूची नहीं  दी गई है। यहीं नहीं अब तक याचिकाकर्ता पर लगे आरोपों की जांच के लिए जांच अधिकारी की नियुक्ति भी नहीं की गई है। याचिका में भट्टाचार्य ने दावा किया था जब से  उन्होंने एफटीआईआई के कामकाज के विषय में केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास शिकायत की है तब से मेरे खिलाफ प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई की जा रही है। याचिका में भट्टाचार्य ने कहा है कि उन्हें अब तक तीन कारण बताओं नोटिस जारी किए जा चुके है। जिसमें उन पर फेसबुक में केंद्र सरकार की आलोचना करने का आरोप लगाया गया है। 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एस.सेन ने खंडपीठ के सामने कहा कि मेरे मुवक्किल का अपना निजी फेसबुक अकाउंट है। जिसमें उन्होंने अपने विचार रखे। ऐसे में संस्थान ने मेरे मुवक्किल को नोटिस जारी कर उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संकुचित करने का प्रयास किया है। यहीं नहीं संस्थान मेरे मुवक्किल की निजी स्वतंत्रता के अधिकार में अतिक्रमण कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मेरे मुवक्किल को नोटिस इस धारणा के तहत जारी की गई है जिसके तहत ऐसा माना जाता है कि सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों व कामकाज की आलोचना नहीं कर सकता है।

अधिवक्ता सेन ने आग्रह किया कि उनके मुवक्किल के निलंबन के संबंध में संस्थान की ओर से जारी किए गए आदेश पर रोक लगा दी जाए। क्योंकि निलंबन के कारण मेरी मुवक्किल अपने वेतन से वंचित हो जाएगी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि निलंबन के बावजूद याचिकाकर्ता को जीवन निर्वाह के लिए भत्ता मिलेगा। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता आरोपों पत्र (चार्जसीट) मिलने व जांच अधिकारी की नियुक्ति के बाद अंतरिम राहत के लिए कोर्ट में आवेदन दायर कर सकती है। 

Created On :   20 Sept 2019 5:55 PM IST

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