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रिटायर्ड हाईकोर्ट जज से कराएं जांच, सरकार गठित करे कमेटी
डिजिटल डेस्क जबलपुर। राज्य सरकार मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर के घोटाले की जाँच के लिए निष्पक्ष समिति का गठन करने में हीलाहवाली कर रही है। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि किसी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। मप्र हाईकोर्ट ने इस तल्ख टिप्पणी के साथ मुख्य सचिव द्वारा एडीशनल कलेक्टर की अध्यक्षता में मेडिकल यूनिवर्सिटी घोटाले की जाँच के लिए गठित पाँच सदस्यीय समिति को अमान्य कर दिया। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विशाल धगट की डिवीजन बैंच ने सरकार को एक सप्ताह के भीतर मेडिकल यूनिवर्सिटी घोटाले की जाँच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति का गठन करने का आदेश दिया है। डिवीजन बैंच ने समिति में एक-एक कम्प्यूटर और सायबर एक्सपर्ट और एक डीआईजी स्तर के पुलिस अधिकारी को रखने का निर्देश दिया है। सभी को सुनवाई का अवसर देने के बाद जाँच समिति एक माह में रिपोर्ट पेश करेगी।
कोर्ट ने दिया था दो बार जाँच समिति गठित करने का अवसर
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अमिताभ गुप्ता और आरएन तिवारी ने कहा कि कोर्ट ने राज्य सरकार को दो बार निष्पक्ष जाँच समिति गठित करने का अवसर दिया। 14 सितंबर को कोर्ट ने मुख्य सचिव को हलफनामा देकर बताने के लिए कहा था कि निष्पक्ष जाँच समिति के गठन के लिए क्या किया जा रहा है। सोमवार को मुख्य सचिव की ओर से हलफनामा पेश कर बताया गया कि एडीशनल कलेक्टर की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय जाँच समिति का गठन किया गया है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए एडीशनल कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जाँच समिति को अमान्य कर दिया।
यह है मामला
गढ़ा जबलपुर निवासी अरविंद मिश्रा और प्रेमनगर निवासी अंकिता अग्रवाल की ओर से जनहित याचिका दायर कर मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुए पास-फेल कराने के घोटाले की जाँच करने की माँग की गई है। याचिका में कहा गया है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर छात्रों को फेल कर दिया गया। इसके बाद मोटी रकम लेकर छात्रों को पास किया गया। छात्रों से ऑनलाइन रिश्वत ली गई। याचिका में कहा गया है कि परीक्षा कराने वाली कंपनी माइंड लॉजिक्स के ई-मेल के जरिए छात्रों के नंबर बढ़वाए गए। जिन कॉलेजों को मान्यता नहीं थी, उन कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति दी गई।
Created On :   4 Oct 2021 10:39 PM IST