ईश्वर ने मुझे भजन गाने के लिए ही पैदा किया है-भजन गायिका तृप्ति शाक्य

ईश्वर ने मुझे भजन गाने के लिए ही पैदा किया है-भजन गायिका तृप्ति शाक्य


डिजिटल डेस्क जबलपुर।  जब से होश सँभाला तभी से भजन गा रही हूँ। मुझे लगता है कि मेरा जन्म ही राम नाम के गीत गाने के लिए हुआ है। कभी राम बनके ... कभी श्याम बनके गाने के लिए मुझे लोगों की काफी प्रशंसा मिली, लोगों ने जो रिस्पॉन्स दिया, उसके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था। एक भजन सिंगर बनने की राह मेरे माता और पिता ने आसान कर दी। वे कंधा से कंधा मिलाकर मेरे साथ चले। साक्षात्कार के दौरान अपने सिंगिंग कैरियर से जुड़ी ऐसी ही दिलचस्प बातें भजन गायिका तृप्ति शाक्य ने सिटी भास्कर से साझा कीं। शहर पहुँची तृप्ति ने बताया कि ईश्वर और फैमिली के सपोर्ट से आज वे इस मुकाम पर हैं जहाँ हर व्यक्ति उन्हें सुनना चाहता है, उन्हें खुशी है कि भजनों के माध्यम से वे समाज में पॉजिटिविटी लाते हुए लोगों को प्रभु से जोड़ रही हैं।  
कभी राम बनके, कभी श्याम बनके...
कभी राम बनके ... गीत के रिलीज होने के बाद मुझे लोग बोलते थे वो देखो कभी राम बनके कभी श्याम बनके की सिंगर जा रहीं हैं। मुझे लगता है कि ईश्वर ने मुझे भजन गाने के लिए ही पैदा किया है, इसे मैं अपना सौभाग्य मानती हूँ। अब तक मेरे तीन से चार हजार एलबम रिलीज हो चुके हैं। अयोध्या के मंदिर की जब नींव रखी गई थी, उसी दिन मैंने रामजी का मंदिर बनेगा धीरे-धीरे, सरयु के तीरे-सरयु के तीरे ... लॉन्च किया था। ईश्वर की कृपा से ही मुझे एक बड़ी सफलता मिली है, मेरा सपना है अपनी आवाज से लोगों में जनजागरण पैदा करना चाहती हूँ। दहेज प्रथा, बेटियों के प्रति प्रताड़णा, देश भक्ति की भावना जैसे विषयों पर गाना गाकर लोगो को जागरूक करना चाहती हूँ।
अच्छा समय भी जरूर आता है-
हम लोग सभी जगह काम कर रहे थे लेकिन जैसे ही कोविड आया, सब थम गया, जिससे हर कलाकार को परेशानी हुई है। वाद्ययंत्र कलाकार जो रोज कमाते-खाते हैं, उन्हें भी आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। मेरा सन् 1999 में मेजर एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें दो जगह फ्रैक्चर आए, तीन से चार महीने मेरा गायन बंद था और संगीत से दूर हो गई थी। जब प्लास्टर खुला उसी समय मेरे पास फोन आया कि आपके साथ कुछ डबिंग करनी है। उसी समय मैंने कभी राम बनकर गाना गाया और वह काफी पॉपुलर हुआ। मैंने उसी दिन जान लिया कि हर दु:ख के बाद सुख आता है।
पापा के दोस्त कहते थे, नाम कमाएगी-
बचपन में मैं जब लता और आशा जी के गाने सुनकर गाती थी, तब मेरे पेरेंट्स और पापा के दोस्त आश्चर्य करते थे। वे हमेशा पापा से कहते थे कि बेटी को संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ाना, एक दिन काफी नाम कमाएगी। कुछ ऐसा ही हुआ मेरे पिता ने मेरी हॉबी के साथ मुझे आगे बढऩे दिया।
जबलपुर अपना सा लगता है-
मैंने जबलपुर में बहुत प्रोग्राम किए हैं अब यह मुझे अपना सा लगता है, यहाँ के आर्टिस्ट और लोगों से पारिवारिक रिश्ता सा हो गया है। मैं युवा कलाकारों से कहना चाहती हूँ कि बिना कठिन परिश्रम के कुछ नहीं मिलता, धीरे-धीरे आगे बढ़ें, थोड़ी सी बात पर निराश नहीं हों। कूल माइंड रखें और अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान रखें। किसी एक चीज पर फोकस करें, क्योंकि दो नावों पर एक साथ सवारी नहीं की जा सकती।

Created On :   11 July 2021 7:28 PM IST

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