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अस्पताल की मनमानी पर शिंकजा कसने पर विचार करने सरकार ने मांगा 6 सप्ताह का वक्त

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अस्पतालों की मनमानी पर शिकंजा कसने के लिए महाराष्ट्र नर्सिंगहोम रजिस्ट्रेशन से जुड़े नियमों में संसोधन को लेकर तैयार किए गए मसौदे पर मिले सुझावों पर विचार करने के लिए राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट से 6 सप्ताह के समय की मांग की है। सहायक सरकारी वकील प्राजक्ता शिंदे ने कहा कि उन्हें अस्पताल सहित इस विषय से सभी संबंधित सभी लोगों के सुझाव मिल गए हैं। जिस पर विचार किया जा रहा है। वहीं इस दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे अपने सुझाव नहीं दे पाए है इसलिए उन्हें एक सप्ताह तक का समय दिया जाए। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावडे की खंडपीठ ने सरकारी वकील की समय से जुड़ी मांग को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई को 18 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया। और याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर अपने सुझाव रखने का समय दिया।
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने महाराष्ट्र नर्सिंगहोम रजिस्ट्रेशन के नियमों में प्रस्तावित संसोधन का मसौदा पेश किया था। जिसमें साफ किया गया है कि कानूनी औपचारिकता को पूरा करने के बाद नर्सिंग होम को शव को उसके रिश्तेदार को सौपना होगा। बिल के भुगतान न किए जाने के आधार पर नर्सिंग होम शव को अपने पास नहीं रख सकता है। इसके अलावा नर्सिंग होम में भर्ती मरीज के परिजन को मरीज के बीमारा व उपचार के स्वरुप के बारे में भी जानकारी देना जरुरी होगा। नर्सिंग होम में उपलब्ध विशेषज्ञ डाक्टर की जानकारी व योग्यता भी बाहर लगानी होगी। रिसेप्सेन में शिकायत पुस्तिका भी रखनी होगी। मरीज को उपचार व जांच रिपोर्ट के विषय में दूसरी राय लेने का भी हक होगा। मरीज को डिसचार्ज कार्ड जारी करना जरुरी होगा जिसमें इलाज का उल्लेख करना आवश्यक होगा। इस मसौदे पर मिले सुझावों पर विचार करने के लिए सरकारी वकील ने हाईकोर्ट ने 6 सप्तात तक का समय मांगा है। ।
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Created On :   28 Jan 2020 7:46 PM IST