90 दिनों के भीतर इस्तीफा वापस ले सकता है सरकारी कर्मचारी

Government employee can withdraw resignation within 90 days - HC
90 दिनों के भीतर इस्तीफा वापस ले सकता है सरकारी कर्मचारी
हाईकोर्ट 90 दिनों के भीतर इस्तीफा वापस ले सकता है सरकारी कर्मचारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि सरकारी कर्मचारी त्यागपत्र देने के 90 दिन के भीतर अपना इस्तीफा वापस ले सकता है बशर्ते उन परिस्थितियों में बदलाव हुआ हो जिनके चलते वह इस्तीफा देने के लिए मजबूर हुआ था। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में साइंटिफिक अधिकारी के रुप में एक दशक से अधिक की सेवा के बाद इस्तीफा देनेवाली विजया अय्यर की याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त फैसला सुनाया है। अय्यर की  24 फरवरी 1998 में भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में नियुक्ति हुई थी। लेकिन 15 मार्च 2010 को सेहत ठीक न होने के चलते अय्यर ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद अय्यर ने अपने एक वरिष्ठ अधिकारी की सलाह के बाद 23 अप्रैल 2010 को अपना त्यागपत्र वापस लेने को लेकर पत्र लिखा था। पत्र में अय्यर ने मानवता के आधार पर आग्रह किया था कि उनका त्यागपत्र मंजूर न किया जाए। लेकिन दुर्भाग्यवश अय्यर के पास इसका कोई सबूत नहीं था कि उनके द्वारा त्यागपत्र वापस लेने को लेकर संस्थान के प्रशासन को लिखा गया पत्र मिला है। इस बीच अय्यर का त्यागपत्र मंजूर कर लिया गया और उन्हें सेवा मुक्त कर दिया गया।

अय्यर ने इस मामले को लेकर  पहले केंद्रीय प्रशासकीय़ न्यायाधिकरण (कैट)  में आवेदन दायर किया था। कैट से अय्यर को राहत नहीं मिली। इसलिए अय्यर ने कैट के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। खंडपीठ के सामने अय्यर की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका  पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सेंट्रल सिविल सर्विस नियमावली 1972 के नियम 26 (चार) पर गौर किया। जिसमें उन परिस्थितियों का उल्लेख है जब कर्मचारी त्यागपत्र देने के बाद उसे वापस ले सकता है। खंडपीठ ने कहा कि त्यागपत्र देने के बाद उसे वापस लेने का दायरा बेहद सीमित है। त्यागपत्र देने के बाद 90 दिन के भीतर उसे वापस लिया जा सकता है। इस मामले में याचिकाकर्ता ने 90 दिन के भीतर अपना त्यागपत्र वापस लेने का आग्रह किया है। खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि कैट सुनवाई के दौरान सिविल सर्विस नियमावली के प्रावधानों व इससे संबंधि सुप्रीमकोर्ट के एक फैसले पर ध्यान देने में विफल रहा है। इसलिए कैट के आदेश को खारिज किया जाता है और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव अय्यर की ओर से त्यागपत्र वापस लेने के संबंध में लिखे गए पत्र पर कानून के मुताबिक विचार करे। क्योंकि यह 90 दिन की अवधि के भीतर लिखा गया है। इस मामले में यदि याचिकाकर्ता के पक्ष को सुना जाता है और उनके आग्रह को मंजूर नहीं किया जाता है तो इसके लिए कारण सहित आदेश दिया जाए। यदि बात याचिकाकर्ता के पक्ष में आती है तो मामले से जुड़ी परिस्थितियों को लेकर उचित आदेश जारी किया जाए। 

 

Created On :   19 Oct 2021 8:58 PM IST

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