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सरकार के हाथ में बाहरी छात्रों के भविष्य का फैसला : HC

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मंगलवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित 16 अन्य लोगों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल हाईकोर्ट में मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए चल रही काउंसलिंग में दूसरे राज्यों के करीब 200 छात्रों को एडमिशन देने को लेकर याचिका दायर की गई है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस नंदिता दुबे की युगलपीठ ने याचिका में लगे आरोपों को गंभीरता से लेते हुए सरकार को आजादी दी है कि वो चाहे तो एडमिशन पाने वाले बाहर के छात्रों के एडमिशन निरस्त कर सकती है। इतना ही नहीं सभी छात्रों को यह सूचना देने भी कहा गया है इस याचिका पर आने वाले फैसले के परिणामों से वे वाकिफ रहें।
24 अगस्त को अगली सुनवाई
युगलपीठ ने ये निर्देश जबलपुर की मेडिकल छात्रा तारिषी वर्मा की याचिका पर दिए। इस मामले में मेडिकल कोर्स की चल रही काउंसिलिंग पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आवेदक का आरोप है कि सरकारी कोटे में मप्र के मूल निवासी छात्रों के लिए आरक्षित सीटों पर उप्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के करीब 200 छात्रों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दे दिया गया है। इतना ही नहीं दूसरे राज्यों के कुछ और छात्र भी दूसरे दौर की काउंसिलिंग में शामिल होने वाले हैं।
इन आरोपों के साथ दायर याचिका में राहत चाही गई है कि मेडिकल कोर्स में सरकारी कोटे की आरक्षित सीटों पर सिर्फ मध्यप्रदेश के ही छात्रों को एडमिशन देने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में मप्र सरकार के चिकित्सा शिक्षा सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के साथ 14 अन्य को पक्षकार बनाया गया है। मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ग्रीष्म जैन , सतनीश वर्मा और राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता दीपक अवस्थी हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उप महाधिवक्ता को कहा कि वे सरकार से इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल निर्देश लेकर बताएं कि याचिका में लगे गंभीर आरोपों को लेकर वो क्या कदम उठा रही है? इसके साथ ही युगलपीठ ने सरकार को स्वतंत्रता देकर पूरे मामले की छानबीन करने के लिए भी कहा है।
Created On :   23 Aug 2017 10:03 AM IST