सरोगेसी के मुद्दे को देखने के लिए नियामक प्राधिकरण के गठन को शीघ्रता से देखे सरकार

Government should expedite the formation of regulatory authority to look into the issue of surrogacy
सरोगेसी के मुद्दे को देखने के लिए नियामक प्राधिकरण के गठन को शीघ्रता से देखे सरकार
हाईकोर्ट सरोगेसी के मुद्दे को देखने के लिए नियामक प्राधिकरण के गठन को शीघ्रता से देखे सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार शीघ्रता से सरोगेसी (किराए पर कोख देना) से जुड़ी प्रक्रिया के लिए नियामक प्राधिकरण के गठन से जुड़े कार्य को शीघ्रता से देखे। सरोगेसी  कानून एवं असिसटेड रिप्रोडक्टिव टेक्नालाजी (एआरटी) अधिनियम में ऐसे प्राधिकरण का गठन करने का प्रावधान है। हाईकोर्ट में सरोगेसी की प्रक्रिया को पूरी करने की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर एक दंपति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में दंपति अपने संरक्षित भ्रूण को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल से दूसरे फर्टिलिटी केंद्र में ले जाने की अनुमति देने की मांग की है। न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि सरकार सरोगेसी के मुद्दे को देखने के लिए कानून के तहत जरुरी नियामक प्राधिकरण के गठन को शीघ्रता से देखे। पंजाब व तेलंगाना जैसे राज्य में इस तरह का प्राधिकरण अस्तित्व में आ चुका है। लेकिन महाराष्ट्र में यह बोर्ड गठित नहीं हुआ है। हम चाहते है कि सरकारी वकील अगली सुनवाई के दौरान हमे इस बारे निर्देश लेकर जानकारी दें। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सात जुलाई 2022 को सुनवाई रखी है। इससे पहले हिंदुजा अस्पताल की ओर से पैरवी कर रही वकील ने दंपति की मांग का विरोध किया। 

याचिका के मुताबिक दंपति ने पहले ही भ्रूण को एक अस्पताल में सरंक्षित किया था जबकि सरोगेसी से जुड़ा नया कानून इस वर्ष जनवरी महीने में आया है। नए कानून के चलते दंपति दूसरे अस्पताल में अपना भ्रूण नहीं ले जा सकता है। जबकि दंपति का दावा है कि वे नया कानून उन पर लागू नहीं होगा। क्योंकि उन्होंने सरोगेसी की प्रक्रिया नए कानून के आने से पहले शुरु की थी।  नए कानून में इस तरह के मामले को देखने के लिए राज्य नियामक बोर्ड के गठन का प्रावधान है। चूंकि यह बोर्ड अस्तित्व में नहीं है। इसलिए दंपित ने सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सरोगेसी से जुड़े नए कानून के तहत केवल परोपकार के लिए सरोगेसी की छूट है। नए कानून के मुताबिक सिर्फ विवाहित दंपति जिनके पास बच्चा है वही महिला सरोगेट बन सकती है। कानून की इस अनिवार्यता के चलते अस्पताल ने कोर्ट आए दंपति की सरोगेसी की प्रकिया को रोक दिया है। अब अदालत के आदेश के बाद ही सरोगेसी की प्रक्रिया की शुरुआत हो सकती है। 

 
 

Created On :   28 Jun 2022 8:26 PM IST

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