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मेलघाट से पलायन रोकने दीर्घकालिन योजना बनाए सरकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि मेलघाट इलाके में लोगों के पलायन को रोकने के लिए राज्य सरकार दीर्घकालिन योजना बनाए। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या आदिवासी इलाकों में रहनेवालों को महात्मा गांधी नेशनल रुरल इंप्लायमेंट एक्ट (मनरेगा योजना) के तहत रोजगार प्रदान किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक खंडपीठ ने मेलघाट में इलाके में कुपोषण के चलते बच्चों व गर्भवति महिलाओं की होनेवाली मौत को लेकर साल 2007 में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त जानकारी मंगाई। इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि मेलघाट व आदिवासी इलाके में रहनेवाले लोगों के लिए राज्य सरकार की कई कल्याणकारी योजनाए उपलब्ध हैं। किंतु बरसात के बाद मेलघाट इलाके में रहनेवाले जब दूसरे इलाकों पलायन करते है तो वहां पर यह योजनाएं नहीं रहती हैं। इसके चलते मेलघाट इलाके में रहनेवाले लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो जाते है। सरकार का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मेलघाट में पलायन न हो।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि आदिवासी लोगों को उनके गांव में ही रोजगार प्रदान कर दिया जाए तो इन लोगों को पलायन की जरुरत नहीं महसूस होगी। क्या मेलघाट व आदिवासी इलाके में रहनेवाले लोगों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार दिया जा सकता हैॽ यदि सरकार चाहती है कि पलायन न हो तो इसके लिए सरकार को रोजगार के स्त्रोत खोजने होंगे। सरकार जब इस बारे में योजना बनाए तो यह इस विषय को अपनी योजना का हिस्सा बनाए। इसके साथ ही सरकार ऐसी योजना बनाए जिससे हर आदिवासी तक पहुंचा जा सके।
कुपोषण से होनेवाली बच्चों की मौत में आयी कमी
सुनवाई के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता बंडू साने ने कहा कि अगस्त 2021 तक हर माह कुपोषण से 40 बच्चों की मौत होती थी लेकिन नवंबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच हर माह कुपोषण से 20 बच्चों की मौत हो रही है। इस लिहाज से देखा जाए तो कुपोषण से होनेवाली बच्चों की मौत की संख्या में गिरावट दिख रही है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ऐसे ठोस कदम नहीं उठा रही है जिससे कुपोषण से बच्चों की बिल्कुल भी मौत न हो। खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता कुंभकोणी से पूछा कि सरकार ने आदिवासी इलाके में गरम भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था को बंद क्यों कर दिया है। यह काफी आहत करता है। बच्चों को ताजा भोजन उपलब्ध कराना सरकार से अपेक्षित है। खंडपीठ ने कहा कि चूंकि सरकार ने मेलघाट इलाके में कुपोषण से बच्चों की मौत को रोकने के लिए नागपुर परिक्षेत्र के विशेष पुलिस महानिरीक्षक छेरिंग दोरजे की रिपोर्ट के आधार पर अल्पकालिक योजना पर काम शुरु कर दिया है। इसलिए हम 15 दिन की बजाय अब एक माह के अंतराल पर इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। वहीं राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि कोरोना के प्रसार के चलते ताजा भोजना उपलब्ध कराना बंद कर दिया गया था लेकिन सरकार ने लोगों को राशन घर ले जाने का विकल्प जारी रखा था। उन्होंने कहा कि अगले माह से गरम भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था शुरु कर दी जाएगी। खंडपीठ ने फिलहाल याचिका पर सुनवाई 28 फरवरी 2022 तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   27 Jan 2022 8:13 PM IST