महापुरुषों के लेखन को लेकर लोगों को जागरुक करे सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार समय के साथ अपनी सोच में बदलाव करे और डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर के साथ ही अन्य समाज सुधारकों के लेखों के प्रति सार्वजनिक तौर पर जागरूकता फैलाए। न्यायमूर्ति पी बी वैराले व न्यायमूर्ति किशोर संत की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने अनेक समाज सुधारकों के हस्तलिखित साहित्य को बेहद ही सुंदर ढंग से प्रकाशित किया है लेकिन दुर्भाग्यवश बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। लिहाजा सरकार को इस बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि बहुत से समाज सुधारकों के लेखों को राज्य सरकार ने प्रकाशित किया है लेकिन दशकों पहले प्रकाशित इन लेखों के बारे कितने लोग जानते हैं। खंडपीठ ने कहा कि पहले लोग किताब की दुकानों तक जाते थे लेकिन अब सब कुछ दरवाजे पर उपलब्ध है। इसलिए अब प्रकाशकों को लोगों को दुकानों तक लाने के लिए प्रयास करना पड़ेगा। किंतु सरकार की ओर से इस दिशा में कोशिश नहीं कि जा रही है। सरकार को इस मामले में ठोस सकारात्मक कदम उठाने पड़ेंगे। क्योंकि बहुत से लोग यह नहीं जानते है कि किताबों की सरकारी दुकान कहा है। खड़पीठ के सामने एक स्वस्फूर्त याचिका पर सुनवाई चल रही है। दरअसल हाईकोर्ट ने दिसंबर 2021 में डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर के साहित्य को प्रकाशित करने से जुड़े प्रोजेक्ट को रोके जाने संबंधित मराठी अखबार में छपी का स्वतः संज्ञान लेकर उसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया है।
सरकार के हलफनामे से संतुष्ट नहीं
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मामले को लेकर राज्य सरकार की ओर से दायर किए गए हलफनामे को लेकर असंतोष व्यक्त किया। खंडपीठ ने कहा कि हलफनामे में जरूरी जानकारी नहीं दी गई है। हलफनामे में इस मामले को देखने के लिए कमेटी के गठन के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। खड़पीठ ने कहा कि हम इस हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त हलफनामा दायर किया जाए। खंडपीठ ने दो सप्ताह बाद इस याचिका पर सुनवाई रखी है।
Created On :   21 July 2022 10:09 PM IST