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मनौरा के गुप्तकालीन 100 टीलों को संरक्षित करेगी सरकार

डिजिटल डेस्क सतना। मैहर तहसील क्षेत्र के घने जंगल में स्थित मनौरा के गुप्त कालीन 100 टीलों को संरक्षित करने के प्रयास शुरु हो गए हैं। इस सिलिसिले में पुरातत्व विभाग ने भी दिलचस्पी दिखाई है। विभागीय स्तर पर मैहर के तहसीलदार से मौके के खसरा-नक्शा मांगे गए हैं। उल्लेखनीय है, अर्सा पहले मनौरा की इसी पहाड़ी में 1600 वर्ष पुराने गुप्तकालीन टीले खोजे थे। इनकी ऊंचाई 5 फिट से लेकर 10 फिट तक है। खोजे गए टीलों की तादाद लगभग एक सैकड़ा है। इन टीलों की साफ सफाई और नए सिरे से संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति दे दी है।
शासन को भेजा जाएगा संरक्षण का प्रस्ताव
पुरातत्व विभाग के उप संचालक पीसी महोबिया ने बताया कि इस गुप्तकालीन धरोहर को संरक्षित करने के लिए जल्दी ही राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि नक्शे मिलने के बाद राजस्व एवं वन भूमि का आकलन किया जाएगा। साथ भौगोलिक स्थिति और दूरियां भी स्पष्ट की जाएंगी।
खुदाई में मिली थीं खंडित प्रतिमाएं
उन्होंने बताया कि इससे पहले मनौरा पहाड़ी के तीन टीलों की खुदाई की गई थी। जिसमें भगवान शिव की खंडित प्रतिमाएं मिली थीं। बड़ी संख्या में प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष भी मिले थे। हवन कुंड के अलावा मिट्टी के पुराने बर्तन बड़ी तादाद में पाए गए थे। भगवान विष्णु के भी अनेक मंदिरों के अवशेष पाए गए थे। अनुमान है कि ये क्षेत्र कभी शैव और वैष्णव मतावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहा होगा।
शोणितपुर : बाणासुर की राजधानी
मनौरा के पहाड़ी क्षेत्र को स्थानीय किवदंतियों में बाणासुर की राजधानी भी माना जाता है, हालांकि इस क्षेत्रीय दावे की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई मगर ऐसा जन विश्वास है भगवान शिव के भक्त बाणासुर ने यहां अपनी राजधानी बनाई थी,जिसका प्राचीन नाम शोणितपुर था। सच क्या है,ये तो वक्त बताएगा लेकिन अभी मनौरा पहाड़ी के 97 बड़े टीलों की खुदाई होना बाकीं है। इस मामले में पुरातत्व विभाग की दिलचस्पी से एक बड़ी उम्मीद बंधी है।
Created On :   13 Feb 2020 5:01 PM IST