चित्रकूट की त्रेतायुगीन पर्णकुटी का नैसर्गिक विकास करेगी सरकार -सर्वे शुरु  

Government will start natural development of Tretayugin deciduous Chitrakoot
चित्रकूट की त्रेतायुगीन पर्णकुटी का नैसर्गिक विकास करेगी सरकार -सर्वे शुरु  
चित्रकूट की त्रेतायुगीन पर्णकुटी का नैसर्गिक विकास करेगी सरकार -सर्वे शुरु  

 डिजिटल डेस्क सतना। सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल चित्रकूट की त्रेतायुगीन पर्णकुटी के नैसर्गिक विकास के लिए कलेक्टर डा.सतेन्द्र सिंह ने नगर परिषद के सीएमओ रमाकांत शुक्ला से प्रस्ताव मांगा है। माना जा रहा है कि चित्रकूट और उसके 84 कोसीय तपोवन क्षेत्र में श्रीराम वन गमन पथ के सर्वांगीण विकास के सरकारी प्रयासों के अंतर्गत प्राचीन पर्णकुटी भी अपनी उस पहचान को स्थापित कर पाएगी, जिसकी वो असल में हकदार थी। 
 ऐसे हुई पुष्टि 
सीएमओ श्री शुक्ला के मुताबिक विधायक नीलंाशु चतुर्वेदी के पिता हेमराज चौबे (नन्हें राजा) से उन्हें प्राचीन पर्णकुटी का पता चला। इस संबंध में चित्रकूट के संत-समाज ने भी इस तथ्य की पुष्टि की कि पुरानी लंका के पीछे स्थित लोधन टिकुरा ही वस्तुत: वह स्थल है,जहां प्राचीन पर्णकुटी स्थित थी। वर्षों से उपेक्षित पर्णकुटी के नैसर्गिक विकास की संभावनाओं से सीएमओ ने जब कलेक्टर को अवगत कराया तो उन्होंने एसडीएम को स्थल निरीक्षण के निर्देश दिए। हल्का पटवारी आशीष द्विवेदी के मुताबिक चित्रकूट के वार्ड नंबर-4 में स्थित  लोधन टिकुरा के खसरा नंबर-649 का 0.004 हेक्टेयर रकबा आज भी राज्य शासन के भू अभिलेख में प्राचीन पर्णकुटी दर्ज है। 
अभी ये है हालत 
मंदाकिनी नदी से पुरानी लंका होते हुए श्रीकामदगिरी प्रथम द्वार की ओर जाते वक्त दाईं ओर चिकनी-पीली मिट्टी के पहाड़ पर स्थित प्राचीन पर्णकुटी वस्तुत: वर्षों वर्ष से उपेक्षित है। चौतरफा उम्दा किस्म की मिट्टी के उत्खनन और अतिक्रमण की चपेट में आ चुकी 16 सौ वर्ग फुट  भूभाग पर स्थित इस स्थल पर मौजूदा समय में एक साधु ने कच्ची सी कुटिया बना रखी है। कुटिया के सामने पुत्रजीवा का एक दरख्त ही इस प्राचीन स्थल का साक्षी है। एक छोटे से चबूतरे में महावीर हनुमान की छोटी सी मूर्ति विराजी है। उत्तर में सूख कर धनुषाकार नाले की शक्ल ले चुकी सरयू नदी मृतप्राय है। पर्णकुटी से पश्चिम में धनुषाकार श्रीकामदगिरी पर्वत स्थित है। 
 क्या है जनविश्वास 
ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग  में वनवास के दौरान भगवान श्रीराम , भार्या सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या से सर्वप्रथम चित्रकूट के इसी स्थल पर ठहरे थे। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीराम चरितमानस के बालकांड में पर्णकुटी का वर्णन मिलता है...परनकुटी प्रिय प्रियतम संगा, प्रिय परिवारु कुरंग बिहंगा... जनविश्वास है कि श्रीराम के चित्रकूट आगमन पर वनवासियों का रुप रख कर देवता, विश्वकर्मा के साथ इस स्थल पर पर्णकुटी का निर्माण करने आए थे... रमेउ राम मनु देवन्ह जाना,चले सहित सुरथपति प्रधाना... कोल किरात बेष सब आए, रचे परन तृन सदन सुहाए... बरननि न जाहिं मंजु दुइ साला, एक ललित लघु एक बिसाला... 
 इनका कहना है 
चित्रकूट स्थित प्राचीन पर्णकुटी अब उपेक्षित नहीं रहेगी। सीएमओ से पर्णकुटी का  प्रस्ताव मांगा गया है। श्रीराम वन गमन पथ के विकास की शासन की योजना के तहत जल्दी ही इसके नैसर्गिक विकास की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। 
डा.सतेन्द्र सिंह,कलेक्टर  
 

Created On :   27 Nov 2019 3:25 PM IST

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