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राज्यपाल के पास है मंत्रिमंडल की सिफारिश अस्वीकार करने का अधिकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि विधान परिषद के लिए विभिन्न क्षेत्रो में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को मनोनीत करने के संबंध में राज्यपाल को दिया गया अधिकार स्वतंत्र व संतुलित हैं। इस संबंध में राज्यपाल के मंत्रिमंडल की सिफारिश को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने का अधिकार है। एडीसनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने केंद्रीय विधि व न्याय मंत्रालय के अधिकारी का हलफनामा दायर कर हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। हलफनामे में कहा गया है कि यदि संविधान के अनुच्छेद 171 के प्रावधान को देखा जाए तो प्रतीत होता है कि राज्यपाल के पास मनोनयन को लेकर मंत्रिमंडल की सिफारिशों को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने का अधिकार है। यह प्रावधान राज्यपाल के अधिकार के स्वतंत्र स्वरूप को दर्शाता हैं। याचिकाकर्ता अदालत के माध्यम से एक तरह से राज्यपाल के अधिकार पर अतिक्रमण चाहते हैं। जबकि न्यायपालिका व विधायिका दोनों की भूमिका अलग-अलग है। न्यायालय विधायिका को कानून बनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को याचिका पर जवाब देने को कहा था।
हलफनामे के अनुसार यह याचिका अवैध आधारों पर दायर की गई है। लिहाजा यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अब तक कभी भी राज्यपाल के अधिकार से जुड़े प्रावधान पर प्रश्न नहीं उठाया गया है। याचिकाकर्ता एक तरह से राज्यपाल को नियुक्ति को लेकर सलाह दे रहे हैं। संविधान में मनोनीत करने की प्रक्रिया स्पष्ट है। इस बारे में मुख्यमंत्री व मंत्रीमंडल राज्यपाल को परामर्श देता हैं। इसलिए याचिका को खारिज कर दिया जाए। इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता दिलीपराव आगले व अन्य ने याचिका व आवेदन दायर किया है।
आवेदन में मुख्य रुप से महारष्ट्र विधानपरिषद में 12 सदस्यों को मनोनीत करने से जुड़ी सिफारिश व निर्णय को सार्वजनिक रुप से प्रकाशित करने की मांग की गई है जबकि याचिका में संविधान के अनुच्छेद 171 के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका के मुताबिक 12 सदस्यों को मनोनीत करने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। इसके चलते सदस्यों की नियुक्ति निष्पक्ष तरीके से नहीं होती है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है। इसलिए केंद्र व राज्य सरकार को इस संबंध में नियम बनाने का निर्देश दिया जाए। जिससे सदस्यों को मानोनीत करने के लिए एक व्यवस्था बन सके। याचिका में कहा गया है कि विधानपरिषद में ऐसे लोगों को मनोनीत कर दिया जाता है, जिनका कला, साहित्य व विज्ञान से कोई संबंध नहीं होता।
Created On :   28 July 2020 6:23 PM IST