राज्यपाल ने किया पुस्तक का विमोचन और कर दी यह भविष्यवाणी

Governor released the book and made this prediction
राज्यपाल ने किया पुस्तक का विमोचन और कर दी यह भविष्यवाणी
राज्यपाल ने किया पुस्तक का विमोचन और कर दी यह भविष्यवाणी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मध्यकालीन साहित्य सागर की भांति व्यापक और सार्वभौम-शास्वत महत्व का है। वह कभी समाप्त नहीं हो सकता । जिस तरह चौदहवीं शताब्दी में दांते के डिवाइन कामेडी से यूरोपीय पुनर्जागरण  का आरंभ हुआ, उसी तरह यह पुस्तक हिंदी और भारतीय साहित्य में पुनर्जागरण का कारक बनेगी । यह बात महाराष्ट्र व गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कही। शनिवार को राजभवन में राज्यपाल कोश्यारी ने मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर  एवं अध्यक्ष डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय की सद्यःप्रकाशित पुस्तक "मध्यकालीन कविता का पुनर्पाठ " का विमोचन किया।  इस अवसर  पर राज्यपाल ने कहा कि आपने संत नामदेव, कबीर, जायसी, सूर, तुलसी, रहीम , रसखान, तुकाराम, स्वामी समर्थ रामदास, जाम्भोजी और वील्होजी का उल्लेख करते हुए उनके संदेशों की प्रासंगिकता को उभारने की दृष्टि से इस पुस्तक के महत्व को रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें विश्लेषण की नयी दृष्टि है । हम जानते हैं कि  कविता लिखने की तरह आलोचना करना भी कठिन कार्य है। इस दृष्टि से डाॅ.उपाध्याय ने कोरोना काल का सार्थक उपयोग किया है। इस मौके पर मुंबई से सांसद मनोज कोटक ने कहा कि जब माननीय प्रधानमंत्री ने कोरोना काल को अवसर में बदलने की अपील की तो डाॅ.उपाध्याय ने उसे गंभीरता से लिया और उसका सार्थक उपयोग किया। इस पुस्तक के अंतर्गत " जिसमें सब रम जाएं वही राम हैं" तथा "अयोध्या कालयात्री है" जैसे अध्याय भारतीय संस्कृति के महत्व का प्रकाशन करते हैं। इस पुस्तक से हमारे संतों-भक्तों के योगदान के साथ-साथ राष्ट्रीय-सांस्कृतिक अस्मिता को बल मिलता है।

वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश तिवारी ने पुस्तक की सारगर्भित समीक्षा करते हुए  कहा कि यह  पुस्तक पिछले सत्तर सालों से प्रतीक्षित थी।आचार्य रामचंद्र शुक्ल के बाद मध्यकालीन साहित्य पर यह एक नया प्रस्थान है, यह 267 पृष्ठों का निवेदन है जो मध्यकालीन साहित्य के वरेण्य और सारभूत तत्त्वों  की तरफ करीने से संकेत करती है। हमारे आलोचकों ने मध्यकालीन काव्य और छांदस्य कविता के प्रति जो वितृष्णा पैदा की है यह पुस्तक उसका जवाब है। इन्होंने तुलसीदास को उद्धरण और  प्रमाण सहित हिंदी का पहला नारीवादी कवि सिद्ध किया है। तुलसीदास और ताजमहल शीर्षक आलेख में तुलसीदास का एक बिल्कुल नया पक्ष सामने आता है। श्री भागवत परिवार के समन्वयक वीरेंद्र याज्ञिक ने कहा कि डाॅ.उपाध्याय ने कोरोना काल में जो करुणा की है वह हम सबके लिए अमृत तुल्य है। इस अवसर पर महाकवि जयशंकर प्रसाद के प्रपौत्र विजयशंकर प्रसाद, राज्यपाल की उपसचिव श्रीमती श्वेता सिंघल, रिलायंस इंडस्ट्रीज के महाप्रबंधक चंद्रजीत तिवारी  वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी कुमार मिश्र, नित्यानंद शर्मा, पंकज मिश्रा, दीनानाथ सिंह, प्रोफेसर डाॅ. शिवाजी सरगर , डाॅ.मुंडे, डाॅ.बिनीता सहाय, डाॅ.सचिन गपाट और प्रा. सुनील वल्ली आदि मौजूद थे।

 

Created On :   7 March 2021 3:57 PM IST

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