स्नातक बेरोजगार रहते हैं, लेकिन छोटे काम नहीं करते - राज्यपाल
डिजिटल डेस्क, नागपुर. हमारे देश में अजीब स्थिति है। यहां श्रम की गरिमा का अभाव है। हमारे देश का शिक्षित वर्ग उन लोगों को हीन दृष्टि से देखता है, जो छोटे-मोटे काम करते हैं। यह बहुत गलत है। न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज जैसे देशों में तो कई पूर्व क्रिकेटर टैक्सी और किराने की दुकान चलाते हैं। भारत में छोटे काम करने वाले व्यक्ति के प्रति लोगों का रवैय्या नकारात्मक है। यही कारण है कि कई स्नातक बेराेजगार रहते हैं। एक ओर पानठेला चलाने वाला, रिक्शा-तांगा चलाने वाला मेहनत मजदूरी करके चार पैसे कमा कर अपनी आजीविका चलाते हैं। वहीं डिग्री धारी बेरोजगार रहते हैं। यह देख कर दु:ख होता है। प्रदेश के राज्यपाल रमेश बैस गुरुवार को राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 110वें दीक्षांत समारोह में बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें कोई भी काम ईमानदारी से बगैर हिचकिचाहट के करना चाहिए।
नर्स, इलेक्ट्रिशियन विकल्प उपलब्ध
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य आज की जरूरतों के हिसाब से अनुसंधान और कौशल के आधार पर आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करना है। हाल ही में एक जर्मन राजनीतिक ने मुझे बताया कि जर्मनी को आगामी समय में कम से कम 4 लाख कुशल कारीगरों की जरूरत होगी, जिसमें नर्से, इलेक्ट्रिशियन जैसे कार्य करने वाले शामिल होंगे। आज 11.5 करोड़ के ऊपर की आबादी वाला महाराष्ट्र ऐसे देशों को कुशल मनुष्यबल प्रदान कर सकता है। इसलिए आवश्यक है कि हमारे युवा स्नातक विविध कौशल से लैस हों। इसलिए राज्य में नया कौशल विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। उन्होंने स्टार्टअप और इनोवेशन के जरिए रोजगार बढ़ोतरी का पक्ष लिया।
Created On :   14 April 2023 5:42 PM IST