गुलौआ चौराहे को 90 दिनों में था बनाने का दावा, बीत गए 9 साल

Gulaua intersection was claimed to be built in 90 days, 9 years have passed
गुलौआ चौराहे को 90 दिनों में था बनाने का दावा, बीत गए 9 साल
गुलौआ चौराहे को 90 दिनों में था बनाने का दावा, बीत गए 9 साल

विकास के नाम पर रोटरी उखाड़कर ले गए, फुटपाथ भी उधेड़ा फिर भी बन नहीं सका, अब तो कस्बाई हालात में पहुँच गया यह चौराहा
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
शहर के पश्चिमी हिस्से का एक प्रमुख गुलौआ चौराहा नगर निगम ने इसलिए तोड़ दिया कि इसको एक सुंदर रूप दिया जाएगा। जब चौराहे से रोटरी अलग की जा रही थी तो उसी वक्त दावा किया गया था कि अगले 90 दिनों के अंदर करीब 200 मीटर के दायरे तक इसका पूरी तरह से कायाकल्प कर किया जाएगा, लेकिन अफसोस नगर निगम का यह दावा हमेशा की तरह खोखला साबित हुआ। अब इन दावों और वादों के 9 साल बीत चुके और चौराहा पहले से और भी बदतर हालात में पहुँच गया है। इसकी रोटरी जो उखाड़ी उसका पता नहीं, फुटपाथ जो उधेड़ा वह फिर कभी नहीं बन सका। इसी तरह अन्य अधूरे कार्य जस के तस हालात में छोड़ दिए गए। -यह सड़क भी 100 मीटर बना सके 
इसी चौराहे के विकास के रूप में गढ़ा रेलवे फाटक से गुलौआ चौक से आगे गौतम मढिय़ा तक सड़क को सवा करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाना था। इसका पहला हिस्सा 100 मीटर तक सीमेण्टेड बनाया और पानी की टंकी के सामने से काम बंद कर दिया गया। सड़क निर्माण के लिए तामझाम के साथ भूमि-पूजन हुआ पर पूरी बनाने से पहले काम बंद कर दिया गया। नगर निगम के ईई आरके गुप्ता कहते हैं कि गुलौआ से गौतम मढिय़ा सड़क को जल्द पूरा बनाने की कोशिश की जा रही है। इसका काम जल्द चालू होगा। 
अब हर तरफ कब्जे ही कब्जे
गुलौआ चौराहे का विकास थमने के बाद यहाँ पर कब्जों की होड़ लग गई। जहाँ चौराहे पर रोटरी थी वहीं पर अब फूल वालों ने कब्जा कर लिया। इसी तरह किनारे हिस्से में जहाँ पर फुटपाथ वहाँ पर गुमटी लग गई। किसी भी हिस्से को लोग छोड़ नहीं रहे। सब्जी फल के ठेले, चायपान की दुकान और पूरे इलाके को कस्बाई रूप दे दिया गया है।
चौराहे की तस्वीर बदलने सिर्फ तैयार हुआ प्लान 
गुलौआ ताल का जब विकास हुआ तो चौराहे को स्मार्ट सिटी के प्लान में शामिल करने पर विचार हुआ पर बाद में इससे किनारा कर लिया गया। क्षेत्रीय पार्षद संजय राठौर कहते हैं िक चौराहे के िवकास को लेकर पूरा प्लान तैयार है वह स्वीकृत भी है लेकिन इस ओर कोई ध्यान देने तैयार ही नहीं है। ऐसा लगता है कि गढ़ा का उपयोगी चौराहा नगर निगम की प्राथमिकता में शामिल नहीं है। चौराहे पर जो अतिक्रमण की हालत है उसे देखकर लगता है कि जैसे नगर निगम ने खुद ठेले और कब्जा करने वालों को खुली छूट दे दी है।
 

Created On :   19 July 2021 4:41 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story