- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- उम्र कैद में बदली पांच बच्चों की...
उम्र कैद में बदली पांच बच्चों की हत्या की दोषी बहनों की फांसी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बच्चों को अगवा कर उनकी हत्या की दोषी कोल्हापुर की दो बहनों रेणुका शिंदे और सीमा गावित की फांसी की सजा को मंगलवार को बांबे हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया। दोनों ने भीख मांगने और चोरी करने के लिए 1990 से 1996 के बीच 13 बच्चों को अगवा किया था इनमें से उन्होंने 5 की हत्या कर दी थी। न्यायमूर्ति नितिन जामदार और सारंग कोतवाल ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। इस दौरान अदालत ने 25 साल पूरे हो जाने के चलते जेल से रिहाई की दोनों बहनों की अपील ठुकरा दी। अदालत ने कहा कि दया याचिका पर सुनवाई में करीब 8 साल की देरी राज्य सरकार के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है। खंडपीठ ने पाया कि याचिका पर सुनवाई में बिना वजह देरी की गई। अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक युग में भी इस तरह की देरी पर हैरानी जताई। निचली अदालत ने दोनों बहनों को साल 2001 में फांसी की सजा सुनाई थी। साल 2004 में हाईकोर्ट और साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी।
2014 में खारिज हुई थी दया याचिका
7 जुलाई 2014 को राष्ट्रपति ने भी दोनों की दया याचिका खारिज कर दी थी। 22 अक्टूबर 1996 से दोनों बहने जेल में हैं। दया याचिका पर सुनवाई और फांसी में देरी का हवाला देते हुए दोनों बहनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि राज्य सरकार फांसी की सजा बरकरार रखना चाहती थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वकील अरुणा पई ने दावा किया गया कि वारदात की जघन्यता को देखते हुए देरी के बावजूद फांसी की सजा बरकरार रखी जानी चाहिए। लेकिन देरी के आधार पर अदालत ने दोनों बहनों को राहत दे दी। हालांकि जेल से रिहाई की अपील अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि अपराधी बहनों का बच्चों की निर्दयता से हत्या करना ऐसा अपराध है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। इनमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। अदालत ने कहा कि उम्रकैद का मतलब होता है सारी उम्र जेल में बिताना जब तक कि सक्षम प्राधिकारी दोषी को रिहा करने का फैसला नहीं लेता।
Created On :   19 Jan 2022 4:53 PM IST