HC का सरकार से सवाल- क्या आपराधियों को सुरक्षित जीवन का अधिकार नहीं 

HC asked state government- is criminals have not right to secure life
HC का सरकार से सवाल- क्या आपराधियों को सुरक्षित जीवन का अधिकार नहीं 
HC का सरकार से सवाल- क्या आपराधियों को सुरक्षित जीवन का अधिकार नहीं 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने वीआईपी लोगों को सुरक्षा देने को लेकर बनाई गई प्रस्तावित नीति को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि क्या सरकार को महसूस होता है कि आपराधिक पृष्ठभूमिवालों को सुरक्षित जीवन का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी की उस दलील को सुनने के बाद की जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने तय किया है कि आपराधिक रिकार्ड वालों को सुरक्षा नहीं दी जाएगी। क्योंकि एेसे लोगों के जीवन को उनकी खुद की आपराधिक गतिविधियों के चलते खतरा पैदा होता है। आपराधिक पृष्ठभूमिवालों को पुलिस सुरक्षा नहीं प्रदान की जाएगी। इस पर चीफ जस्टिस मंजूला चिल्लूर और जस्टिस एमएस सोनक की खंडपीठ ने मौखिक रुप से कहा कि यह क्या बकवास है? क्या सरकार मानती है कि आपराधिक रिकार्ड वालों को सुरक्षित जीवन का अधिकार नहीं है। क्या सरकार कहना चाहती है कि ऐसे लोगों के कोई अधिकार नहीं होते है। कोई भी आ कर ऐसे लोगों को मार सकता है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सरकार को पुलिस सुरक्षा देने को लेकर सरकार की ओर से बनाई गई नीति पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया था।

नीति के कुछ दस्तावेज किए पेश
सरकारी वकील ने खंडपीठ के सामने सुरक्षा देने की प्रस्तावित नीति के कुछ दस्तावेज पेश किए। जिन पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यह तो एक तरह से साल 2000 के पुराने परिपत्र की प्रति है। यह पूरी तरह से अधिकारियों की विवेकहीनता को दर्शाता है। अधिकारियों ने पुराने परिपत्र की  सिर्फ एक व दो लाइन बदलकर वहीं परिपत्र हमारे सामने पेश कर दिया है। जो की पूरी तरह से अस्पष्ट है। आखिर सरकार यह कैसे सोचती है कि हम इसे मंजूरी प्रदान करेंगे। सरकारी वकील ने कहा कि हर तीन महीने के अतंराल पर प्रदान की गई सुरक्षा मूल्याकन किया जाएगा। पुलिस सुरक्षा शुल्क की रकम लोगों से आसानी से वसूलने के लिए उनसे बैंक गारंटी ली जाएगी।

सरकारी वकील की दलीलों से खंडपीठ संतुष्ट नही
सरकारी वकील की दलीलों से खंडपीठ संतुष्ट नहीं हुए और अगली सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता को पैरवी के लिए बुलाया। खंडपीठ के सामने पेशे से वकील सनी पुनमिया की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से वीआईपी, नेताओं व फिल्मी हस्तियों को दी जानेवाली पुलिस सुरक्षा की रकम न वसूलने के मुद्दे को उठाया गया है। याचिका के मुताबिक करीब एक हजार पुलिसकर्मियों को निजी लोगों को सुरक्षा में तैनात किया गया है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।

Created On :   28 Nov 2017 7:34 PM IST

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