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हाईकोर्ट ने मां के हत्यारे की फांसी उम्र कैद में बदली, हाईकोर्ट ने कहा- पूर्व नियोजित नहीं था मामला
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एके श्रीवास्तव की युगल पीठ ने अपनी मां की बेरहमी से हत्या करने वाले नरसिंहपुर निवासी अशोक रजक की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है। युगल पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि यह मामला पूर्व नियोजित नहीं था। आरोपी ने तत्कालिक आवेश में आकर हत्या की है। इसलिए यह मामला विरल से विरलतम श्रेणी में नहीं आता है। आरोपी को 12 फरवरी 2018 को नरसिंहपुर की जिला अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
यह है मामला
अभियोजन के अनुसार 1 जनवरी 2017 को नरसिंहपुर के ठेमी थाना क्षेत्र के सांकल गांव में रहने वाला अशोक रजक दोपहर 12 बजे तक अपने घर में सो रहा था। मां के जगाने से अशोक इतना उग्र हो गया कि उसने डंडे से अपनी मां को पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद वह अपनी मां को घसीटते हुए बाहर बाड़ी में ले गया और फावड़े से अपनी मां का सिर अलग कर दिया। पुलिस ने धारा 302 का प्रकरण दर्ज कर आरोपी के खिलाफ न्यायालय में आरोप-पत्र पेश किया।
पागल बताने की कोशिश
पुलिस ने जब आरोपी अशोक रजक को गिरफ्तार किया तो उसने अपने आप को पागल बताने की कोशिश की। पुलिस ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से आरोपी की जांच कराई। जांच में पाया गया कि आरोपी पागल नहीं है। नरसिंहपुर की जिला अदालत इस मामले को विरल से विरलतम श्रेणी का मानते हुए अशोक रजक को फांसी की सजा सुनाई। जिला अदालत ने फांसी की पुष्टि के लिए प्रकरण हाईकोर्ट भेजा, वहीं आरोपी की ओर से भी अपील दायर की गई। आरोपी की ओर से अधिवक्ता सुधा पंडित और श्रेयस पंडित के तर्क सुनने के बाद युगल पीठ ने आरोपी की फांसी को उम्र कैद में बदल दिया। कोर्ट मित्र के रूप अधिवक्ता एके जैन ने युगल पीठ का सहयोग किया।
Created On :   27 March 2019 8:23 PM IST