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हाईकोर्ट ने कहा - राज्य शासन बाल कल्याण समिति के पूर्व सदस्य पर कार्रवाई करने स्वतंत्र

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य शासन से कहा है कि वह बाल कल्याण समिति के पूर्व सदस्य अरुण जैन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने इस निर्देश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है। बाल कल्याण समिति के सदस्य अरुण जैन द्वारा बिना अधिकार के होटल, स्कूलों और दुकानदारों को नोटिस दिया जा रहा था। इसके साथ ही विभिन्न संस्स्थानों की जांच भी की जा रही थी। बाल कल्याण समिति के सदस्य द्वारा की जा रही मनमानी और अनियमितताओं पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले की जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की थी।
21 जून 2017 को हाईकोर्ट ने बाल कल्याण समिति के सदस्य के काम करने पर रोक लगा दी थी। मंगलवार को राज्य सरकार की ओर शासकीय अधिवक्ता ने बेंच को बताया कि बाल कल्याण समिति के सदस्य अरुण जैन अपने पद से मुक्त हो चुके है। पदमुक्त हो चुके सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान नहीं है। राज्य सरकार विचार कर रही है कि ऐसे सदस्य को भविष्य में किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं दी जाए। सुनवाई के बाद बेंच ने इस निर्देश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया कि राज्य शासन बाल कल्याण समिति के पूर्व सदस्य पर किसी भी प्रकार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। याचिका में कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता सिद्धार्थ गुलाटी ने पक्ष रखा।
लाइब्रेरियन और स्पोर्ट्स ऑफिसर की नियुक्ति याचिका के निर्णयाधीन
हाईकोर्ट ने MPPSC द्वारा की जा रही लाइब्रेरियन और स्पोर्ट्स ऑफिसर की नियुक्ति को याचिका के निर्णय के अधीन रखने का आदेश दिया है। जस्टिस सुजय पॉल की बेंच ने राज्य शासन, MPPSC और यूजीसी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। यादव कॉलोनी जबलपुर निवासी इंद्रनारायण काछी और दमोह निवासी वीरेन्द्र सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि MPPSC में प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में लाइब्रेरियन और स्पोर्ट्स ऑफिसर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। नियुक्ति के लिए लाइब्रेरियन की क्वालिफिकेशन नेट उत्तीर्ण रखी गई है। यह क्वालिफिकेशन सहायक प्राध्यापक के पद के लिए है।
याचिका में कहा गया कि लाइब्रेरियन और स्पोर्ट्स ऑफिसर की क्वालिफिकेशन स्लेट उत्तीर्ण है। राज्य सरकार ने लंबे समय से स्लेट की परीक्षा नहीं कराई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वृंदावन तिवारी ने तर्क दिया कि लाइब्रेरियन और स्पोर्ट्स ऑफिसर पद के लिए सहायक प्राध्यापक पद की योग्यता मांगी जा रही है। यह दोनों नॉन टीचिंग पद हैं। बेंच ने नियुक्ति को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है ।
Created On :   4 July 2018 1:37 PM IST