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हाईकोर्ट जज के निजी सचिवों को शार्टहैंड जानना जरूरी, छूट के लिए दायर याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों के निजी सहायकों को उनके निजी सचिव के रुप में पदोन्नति के लिए शार्टहैंट टेस्ट में रियायत दिए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने साफ किया कि यदि न्यायमूर्ति के निजी सचिव को शार्ट हैंड की जानकारी नहीं होगी तो इससे न्यायाधीश का कामकाज प्रभावित होगा। जो न्याय प्रशासन पर भी असर डालेगा। क्योंकि न्यायाधीश के निजी सचिव के कार्य में शार्ट हैंड की जानकारी काफी महत्वपूर्ण है। हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति के निजी सहायक के रुप में कार्यरत वसंत सार्क सहित सात लोगों ने इस विषय पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इससे पहले इन सभी लोगों ने हाईकोर्ट प्रशासन के सामने भी अपना निवेदन दिया था, लेकिन हाईकोर्ट प्रशासन ने निजी सहायकों के शार्ट हैंड टेस्ट से छूट दिए जाने की मांग से जुड़े निवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता रजनी अय्यर ने कहा कि जब निजी सहायक के रुप में याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति की गई थी उस समय शार्ट हैंड की जानकारी उनके लिए जरुरी नहीं थी। अब जब निजी सचिव पद पर पदोन्नति के लिए उनका चयन किया जा रहा है तो शार्ट हैंड टेस्ट की अनिवार्यता रखी गई है। यह नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि निजी सहायक व निजी सचिव का कामकाज कमोवेश समान है। वहीं हाईकोर्ट प्रशासन के वकील ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि पदोन्नति की चयन प्रक्रिया में मेरिट को दरकिनार कर सिर्फ वरिष्ठता को प्रधानता नहीं दी जा सकती है।
वैसे भी निजी सहायक व निजी सचिव की जिम्मेदारी भिन्न है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि निजी सचिव को शार्टहैंड की जानकारी न होने से इससे न्यायाधीश के कामकाज पर असर पड़ेगा। जो न्याय प्रशासन पर भी विपरीत असर डालेगा। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।
Created On :   27 Sept 2019 7:22 PM IST