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डॉक्यूमेंट्स जमा करने के बाद भी नहीं मिल रहा हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम
कंपनियों पर बीमा धारकों ने लगाए आरोप, जाँच व कार्रवाई की माँग
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना का संक्रमण अपनी चरम स्थिति पर है। लोग इस विश्वास के साथ निजी अस्पतालों में जा रहे हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस की राशि मिलने से उनका आर्थिक बोझ कुछ कम हो जाएगा, लेकिन कंपनियाँ एन मौके पर अपेक्षित सहयोग नहीं कर रही हैं। शिकायत में लोगों ने आरोप लगाया है कि बीमा कंपिनयाँ इलाज की राशि देने में टाल मटोल कर रही हैं। किसी ने कहा कि उन्हें अस्पताल में हुए खर्च से आधी रकम भी नहीं दी गई। कुछ ने कहा कि डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने के कई दिन बाद भी उन्हें क्लेम नहीं मिल पाया। लाख प्रयास के बाद भी परेशानी और भटकाव ही उनके हिस्से में आ रहा है।
6 माह बाद भी नहीं मिल पाया क्लेम
कोतवाली वार्ड निवासी अभिषेक अग्रवाल अक्टूबर 2020 में कोरोना से ग्रसित हो गए थे। उन्होंने शिकायत में बताया कि बीमा क्लेम 1 लाख 20 हजार बना था। अभिषेक ने बीमा कंपनी टाटा एआईजी इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम किया तो वहाँ के कर्मचारी ने कहा कि आप एक पॉलिसी और लेंगे तो हम तुरंत आपकी रकम रिलीज कर देेंगे। अभिषेक ने बताया कि कंपनी के अधिकारी की बात रखते हुए उन्होंने एक पॉलिसी और ले ली। उनका आरोप है कि पॉलिसी लेने के बाद वे बार-बार कंपनी के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई अधिकारी बात नहीं कर रहा है। उन्हें चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
कागजात देने के बाद भी सुनवाई नहीं
साकेत नगर निवासी सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने केनरा बैंक की टाटा एआईजी इंश्योरेंस कंपनी का फैमिली प्लान लिया हुआ है। उनका बेटा श्रेयांश विश्वकर्मा 23 मार्च को निजी अस्पताल में भर्ती हुआ था और 26 मार्च को अस्पताल से छुट्टी हुई थी। उन्होंने 5 अप्रैल को बीमा कंपनी में क्लेम के लिए सारे बिल व आवेदन जमा किए गए हैं। 9 अप्रैल को बीमा कंपनी को सारे बिल रिसीव हो गए और उसका बाकायदा मैसेज भी उनके मोबाइल पर आया था। सुनील का आरोप है कि अब 15 अप्रैल को कंपनी मैसेज करके फिर से सारे डॉक्यूमेंट माँग रही है। उन्होंने कंपनी के अधिकारियों को बताया कि वे पहले ही ओरिजनल बिल दे चुके हैं, लकिन वे कुछ सुनने तैयार नहीं है।
खर्च से आधी राशि भी नहीं मिली
अचानक कोविड पॉजिटिव होने के बाद संजीवनी नगर, गढ़ा निवासी राजीव कुमार अग्रवाल इलाज के लिए एक निजी अस्पताल पहुँचे तो वहां बीमा पर इलाज करने से इनकार कर दिया गया। अंतत: उन्होंने नकद राशि जमा की तब उपचार मिला। ठीक होने के बाद उन्होंने नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में सारे बिल लगाकर क्लेम किया। तीन माह बाद कंपनी ने 2 लाख 44 हजार 328 रुपए के बिल के एवज में मात्र 82 हजार 890 रुपए की राशि दी। श्री अग्रवाल का आरोप है कि कंपनी वालों से कम बिल देने की शिकायत की तो वे कोई जवाब ही नहीं दे रहे हैं। यह गलत है। इसकी जाँच व कार्रवाई होनी चाहिए।
Created On :   20 April 2021 1:59 PM IST