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कलेक्टर के निर्देश पर सोहावल मेें 2 घंटे चली किसानों की सुनवाई -

सरिसताल-देवरा में 100 से भी ज्यादा किसानों के खसरों में नियम विरुद्ध माइनिंग लीज दर्ज कराने का मामला
डिजिटल डेस्क सतना। रघुराजनगर तहसील के बाबूपुर पटवारी हल्के के सरिसताल -देवरा की 100 सौ से भी ज्यादा किसानों की करोड़ों रुपए मूल्य की 513.32 एकड़ कृषि योग्य भूमियों के खसरा के कॉलम नंबर-12 (कैफियत) में मेसर्स स्टार एग्रोनोक्सि
लिमिटेड के पक्ष में नियम विरुद्ध माइनिंग लीज दर्ज करने की शिकायतों के निराकरण के मामले में कलेक्टर अजय कटेसरिया के निर्देश पर सोमवार को सोहावल की बाबूपुर पंचायत में प्रभावित किसानों की सुनवाई का आयोजन किया गया। हल्के के पटवारी श्रीकृष्ण गौतम ,सरपंच करिश्मा कोरी और पंचायत सचिव अनिल दुबे की मौजूदगी में तकरीबन 2 घंटे तक चली इस सुनवाई में आधा सैकड़ा से भी ज्यादा किसानों ने अपने-अपने आवेदन देकर खसरों में दर्ज माइनिंग लीज शब्द विलोपित किए जाने की मांग की। इसी बीच मामले के विवेचक नायब तहसीलदार आशुतोष मिश्रा ने बताया कि पटवारी से प्राप्त प्रतिवेदन , एसडीएम के जरिए कलेक्टर कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। रिकार्ड को दुरुस्त कर पूर्ववत करने की मांग पर जल्दी ही निर्णय होगा। उधर किसानों ने कहा कि संबंधित भूभाग से ललितपुर-सिंगरौली रेल मार्ग प्रस्तावित होने के कारण उसके 500 मीटर के दायरे में उत्खनन कार्य के लिए लीज की स्वीकृति भी गैर कानूनी है।
क्या हैं आरोप
इसी बीच एक-एक कर अपना पक्ष रखते हुए किसानों ने कहा कि भूअर्जन एवं भू प्रवेश की प्रक्रिया पूरी किए बिना उनकी कृषि योग्य भूमियों के खसरों में माइनिंग लीज दर्ज होने का अधिकार किसी भी तहसीलदार को नहीं है। इस प्रक्रिया में मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1956 की धारा-274(4) के प्रावधानों का भी पालन नहीं किया गया है। किसानों ने आरोप लगाए कि सरिसताल की 397.18 एकड़ और देवरा की 116.14 एकड़ कृषि भूमियों की कैफियत में एक मुश्त माइनिंग लीज दर्ज कराने वाले रघुराजनगर के तबके तहसीलदार की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। सगौनी के कृषक महेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि सिर्फ एक आवेदन के आधार पर तहसीलदार ने तत्परता पूर्वक एकतरफा निर्णय लेते हुए मात्र 29 दिन के अंदर 513.32 एकड़ कृषि भूमियों की कैफियत में माइनिंग लीज दर्ज करा दी थी। एक अन्य किसान हीरालाल पटनहा ने तबके जिला खनिज अधिकारी की भूमिका की भी जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाए कि किसानों के निजी स्वामित्व की भूमियों की कैफियत बदलने की प्रक्रिया में संबंधित भूमियों के सत्यापित खसरे संलग्न करने के बजाय खनिज अधिकारी ने सिर्फ खसरा नंबरों की सूची संलग्न करवा दी थी। ऐसे में भी समूची प्रक्रिया स्वयमेव दूषित है।
अपनी ही जमीनों पर मालिकाना हक नहीं
सुनवाई में बड़ी संख्या में मौजूद प्रभावित किसानों ने लिखित अर्जियों में आपबीती बताई। किसानों ने कहा कि खसरों की कैफियत में नियम विरुद्ध माइनिंग लीज दर्ज होने के बाद विगत 6 वर्षों से उनका उनकी ही कृषि भूमियों पर मालिकाना हक नहीं रह गया है। किसी को बेटी की शादी करना है, किसी को बीमारी का इलाज कराने के लिए पैसों की जररुत है,मगर वे न तो अपनी खेती के एवज में ऋण उठा पा रहे हैं न अपने खेत ही बेच पा रहे हैं। कई किसानों ने कहा कि वे अपने ही खेतों में फैंसिंग और ट्यूबवेल तक नहीं लगवा पा रहे हैं। नगर निगम क्षेत्र से लगी उनकी करोड़ो रुपए की भूमियों का माटी मोल भी नहीं रह गया है। बैंक भी इसी वजह से किसान के्रडिट कार्ड देने को तैयार नहीं हैं।
इन्होंने भी दर्ज कराई शिकायत
सुनवाई के दौरान प्रभावित कृषक सुदामा चौधरी, महेन्द त्रिपाठी, कैलाश प्रसाद रवि, राकेश मोहन त्रिपाठी,राजेश कुमार मिश्रा, नरोत्तम प्रसाद पाठक, शैलेन्द्र कुमार तिवारी, लक्ष्मीनारायण, अमित चतुर्वेदी, दीपक कुमार त्रिपाठी, कृष्णकिशोर, सौखीलाल, रामसेवक, सतीश त्रिपाठी, मिथुन चौधरी, ओमप्रकाश, सोमवती, रमेश चतुर्वेदी, भगवानदास चौरसिया, श्रवण गौतम, हीरालाल पटनहा, रानी चतुर्वेदी, रामसिपाही चौधरी, बबली, छेदीलाल चौधरी, रामसिया चौधरी, ओमप्रकाश, शंभू चौधरी, राजकुमार चौधरी और राकेश चौधरी समेत बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।
इनका कहना है
किसानों की जमीनों के खसरे के कालम नंबर-12 में विधि विरुद्ध माइनिंग लीज का प्रकरण कलेक्टर कोर्ट में प्रक्रियाधीन है। इस संबंध में सभी पक्षों की सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होते ही निर्णय लिया जाएगा।
अजय कटेसरिया, कलेक्टर
2- वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर किसानों की शिकायतों पर हल्के के पटवारी से प्रतिवेदन मांगा गया है। किसानों की सुनवाई इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। प्रतिवेदन मिलते ही उसे सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
आशुतोष मिश्रा, नायब तहसीलदार सोहावल वृत्त
Created On :   11 Aug 2020 6:22 PM IST