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विशेष बाल श्रम प्रशिक्षण केन्द्र में भारी फर्जीवाड़ा, दो जगह दर्ज लाभार्थी बच्चों के नाम
डिजिटल डेस्क, कटनी। विशेष बाल श्रम प्रशिक्षण केन्द्र में अध्ययनरत विद्यार्थियों के मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना और शिक्षा विभाग के अफसर लपेटे में आ गए हैं। दरअसल यह मामला एक सप्ताह पहले तब कलेक्टर के संज्ञान में आया। जब 29 विशेष प्रशिक्षण शिविर में अध्ययनरत बच्चों के एमडीएम और शासन से मिलने वाली अन्य योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रस्ताव जिला पंचायत को भेजा गया। प्रस्ताव का जब भौतिक सत्यापन कराया गया, तो बाल श्रम केन्द्रों में दर्ज 1581 में से 837 बच्चों का नाम स्कूलों में पाया गया। इस संबंध में कलेक्टर ने परियोजना निदेशक को कारण बताओ पत्र भी जारी किया। जिसके बाद निदेशक और शिक्षा विभाग के अफसर अपनी-अपनी सफाई दे रहे हैं।
जिले में 36 केन्द्र संचलित
छह विकासखण्डों में कुल 36 केन्द्र संचालित हो रहे हैं। जिसमें दस संस्थाएं ऐसी हैं, जिनके हाथों में 22 केन्द्रों का जिम्मा है। शंकर सरस्वती शिक्षा समिति, अनुपमा एजुकेशन सोसाईटी, पंडित रामस्वरुप गौतम शिक्षा प्रचार समिति के पास 4-4 केन्द्र हैं। सन शाईन एजुकेशन, सर्वोदय फाउंडेशन, स्व.जगदीश प्रसाद गर्ग, श्रीमती फुंदीबाई समिति, आर्यन्स युवा मण्डल, श्री कृष्णा गौ समिति, संभावना सामाजिक संस्थान, जनसेवा समिति और भारतीयम बहुउद्देशीय समिति के पास 2-2 केन्द्र संचालित हैं। संपूर्णा समिति, शगुन स माजसेवा समिति, बारडोली वेलफेयर, जय मां हस्तकला संघ समिति, स्व.छीतू किराड़ स्मृति और संपूर्ण लक्ष्य सामाजिक संस्था के पास एक केन्द्र है।
दोनों जगहों पर दर्ज बच्चे
आठ माह तक बालश्रम शिविर में दर्ज आधे से अधिक बच्चों को पढ़ाने का दावा अब दो-दो विभाग कर रहे हैं। बालश्रम प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक होता है। ठीक इसी समय सुबह साढ़े दस बजे से शाम साढ़े चार बजे तक स्कूलों का भी संचालन होता है। एक ही बच्चे को उसी टाईम पर दो-दो जगहों में किस तरह से पढ़ाया गया। यह तो जांच के बाद ही पता चल सकता है। इधर शिक्षा विभाग अभी तक इस मामले में कुछ कहने से बच रहा है।
जांच में सामने आएंगे दोषी
जिन बच्चों को स्कूल में और प्रशिक्षण केन्द्र में दर्ज बताया जा रहा है। यदि विधिवत रुप से जांच की जाए, तो कई तरह की सत्यता सामने आएगी। जानकार बता रहे हैं कि अभिभावक ही इसे लेकर दोनों विभाग के दावों को उजागर कर सकते हैं। अभिभावकों से पूछताछ के बाद ही यह पता चल पाएगा कि वास्तव में उनके बच्चे कहां पर अध्ययन करने के लिए जाते थे।
इसलिए चलाया जा रहा केन्द्र
इस केन्द्र के पीछे संचालित करने की जो मंशा शासन की रही, अब उस मंशा में अधिकारियों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। कक्षा पांचवी तक उम्र के ऐसे बच्चे जो बालश्रम में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से संलग्र होते हैं। उनके लिए यह विशेष प्रशिक्षण केन्द्र चलाया जा रहा है। जिसमें ब्रिज कोर्स के माध्यम से शिविरों में बच्चों को दक्ष किया जाता है। इसके बाद पांचवी से आगे की पढ़ाई के लिए इन्हें सरकारी स्कूल भेज दिया जाता है।
इनका कहना है
बालश्रम के विशेष प्रशिक्षण केन्द्र विधिवत रुप से संचालित हो रहे हैं। जिस समय शिक्षा विभाग के अधिकारी वहां पर निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे। उस समय स्कूल बंद रहे। पूरे मामले की जानकारी कलेक्टर को दी जा चुकी है।
- रुपल तिवारी, परियोजना निदेशक
Created On :   2 March 2019 1:12 PM IST