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पुलिस व्यवस्था से टूटता है आम आदमी का विश्वास, अदालत ने पूछा - दोनों में कौन पुलिस स्टेशन है सही
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक शिकायत को लेकर दो पुलिस स्टेशनों की अलग-अलग राय पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि पुलिस के ऐसे रुख से आम आदमी का पुलिस व्यवस्था पर से विश्वास डगमगाता है। क्योंकि देश का आम नागरिक पुलिस से कार्रवाई में निष्पक्षता की अपेक्षा करता है। न्यायमूर्ति भारती डागरे ने 38 करोड़ रुपए की कथित ठगी के आरोपों का सामना कर रहे एक आरोपी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।
आरोपी ने याचिका में दावा किया है कि जब उसके खिलाफ ठगी के आरोप को लेकर मुबंई की एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत की गई तो पुलिस ने शिकायतकर्ता से कहा कि उसकी शिकायत सिविल स्वरुप की है। इसमें कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। इसलिए इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। लेकिन जब बिल्कुल इसी तरह की शिकायत को लेकर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में शिकायत की गई तो पुलिस ने आरोपी को कोई नोटिस दिए बिना ही उसके खिलाफ की गई शिकायत को एफआईआर में रुपांतरित कर दिया। याचिका में कहा गया है कि जब मामले को लेकर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में शिकायत की गई तो वहां पर शिकायतकर्ता ने एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन के निष्कर्ष का खुलासा नहीं किया। इस तरह प्रकरण को लेकर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन को गुमराह किया गया है।
याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि एक ही शिकायत को लेकर दो पुलिस स्टेशन का अलग-अलग रुख अपनाने से आम आदमी की पुलिस व्यवस्था पर विश्वास डगमगाता है। क्योंकि देश का आम नागरिक पुलिस से निष्पक्ष व कार्रवाई में समरुपता की अपेक्षा करते हैं। न्यायमूर्ति ने अब दक्षिण परिमंडल के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त को दो पुलिस स्टेशनों की ओर से अपनाए गए रुख को परखने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही अगली सुनवाई के दौरान यह बातने को कहा है कि दोनों में कौन सा पुलिस स्टेशन सही है। न्यायमूर्ति ने अब याचिका पर 6 जुलाई को रखी है।
Created On :   18 Jun 2022 6:30 PM IST