हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न कराई जाए जाति एवं मूल निवासी प्रमाण-पत्र मामले की न्यायिक जाँच

High court asked - why not get the caste and domicile certificate case judicial inquiry
हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न कराई जाए जाति एवं मूल निवासी प्रमाण-पत्र मामले की न्यायिक जाँच
मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को नियत हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न कराई जाए जाति एवं मूल निवासी प्रमाण-पत्र मामले की न्यायिक जाँच



डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील से दूसरे प्रदेश के लोगों द्वारा जाति और मूल निवासी प्रमाण-पत्र बनवाने के मामले की क्यों न न्यायिक जाँच कराई जाए। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को नियत की है।
यह है मामला
यह जनहित याचिका पन्ना अजयगढ़ निवासी देशराज प्रजापति ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उत्तरप्रदेश बांदा के रहने वाले लगभग 70 लोगों ने पन्ना की अजयगढ़ तहसील से अनुसूचित जाति प्रजापति का जाति और मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाया है। इसके आधार पर सभी ने सरकारी नौकरी हासिल कर ली। इस मामले में मुख्य सचिव के निर्देश पर कलेक्टर पन्ना ने जाँच कराई। वर्ष 2006 में प्रस्तुत की गई जाँच रिपोर्ट में पाया गया कि सभी के जाति और मूल निवासी प्रमाण-पत्र फर्जी तरीके से बनाए गए हैं। कलेक्टर की जाँच रिपोर्ट पर मुख्य सचिव ने छानबीन समिति बनाई। छानबीन समिति ने जाँच के बाद पाया गया कि सभी के जाति और मूल निवासी प्रमाण-पत्र सही हैं।
दो जाँच रिपोर्ट में अंतर, न्यायिक जाँच जरूरी
अधिवक्ता अमित बाजपेयी ने तर्क दिया कि जाति और मूल निवासी प्रमाण-पत्र मामले में दो बार जाँच की गई। दोनों ही जाँच रिपोर्ट में अलग-अलग रिजल्ट आए। इसलिए न्यायहित में मामले की न्यायिक जाँच कराना जरूरी है, ताकि सही तथ्य सामने आ सके। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से जवाब माँगा है।

Created On :   8 Nov 2021 10:40 PM IST

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